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कानूनी छूट वापस लेने के बाद केंद्र सरकार की पहली प्रतिक्रिया, ट्विटर ने खो दी भारत में कानूनी सुरक्षा

यूपी के गाजियाबाद में एक मुस्लिम बुजुर्ग की दाढ़ी काटे जाने के मामले सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर पर भी धार्मिक भावनाएं भड़काए जाने का केस दर्ज करने को लेकर केंद्र सरकार ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. ट्विटर पर केस दर्ज होना यह बताता है कि उसे  इंटरमीडिएरी होने के नाते कानूनी कार्रवाई से मिली छूट खत्म हो गई है, क्योंकि वो तय समयावधि में नई डिजिटल गाइडलाइन का पालन करने में विफल रही. आईटी मामलों के मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्विटर के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप में दर्ज केस को लेकर बुधवार को स्पष्ट कहा कि इस सोशल मीडिया कंपनी ने जानबूझकर भारतीय कानूनों की अवहेलना की.
केंद्रीय मंत्री ने सिलसिलेवार ट्वीट में ट्विटर पर निशाना साधा. उन्होंने लिखा, ‘भारत की संस्कृति अपने बड़े भूगोल की तरह बदलती रहती है. कुछ स्थितियों में, सोशल मीडिया के प्रसार के साथ एक छोटी सी चिंगारी भी आग लगा सकती है, खासतौर पर फर्जी खबरों के मामले में.’
उन्होंने कहा, हैरान कर देने वाली बात यह है कि ट्विटर भारतीय कानूनों के मुताबिक, शिकायत निवारण तंत्र स्थापित कर अपने यूजर्स की शिकायतों का समाधान करने में नाकाम रहा. इसके बजाय उसने मैनुपलेट मीडिया की नीति का अनुसरण किया, लेकिन उसने इस टैगिंग का इस्तेमाल भी अपनी सुविधानुसार किया. जब उसे अच्छा लगा तो मैनुपलेटेड टैग लगा दिया और जब नापसंद रहा तो ऐसा नहीं किया. प्रसाद ने कहा कि जो कुछ भी हाल ही में उत्तर प्रदेश में घटित हुआ, वो ट्विटर की फेक न्यूज के खिलाफ अतार्किकता को दर्शाता है.

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