Uttar Pradesh

वाराणसी: बीएचयू के वैज्ञानिक बोले- तीन माह बाद खत्म होता जाता है टीके का प्रभाव, डेल्टा वैरियंट ओमिक्रॉन से ज्यादा खतरनाक

शोध: कोरोना मरीजों पर शोध करने वाले बीएचयू जंतु विज्ञान विभाग के प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बातचीत में बताया कि कोरोना मरीजों की संख्या में दिन प्रतिदिन इजाफा होता जा रहा है, ऐसे में ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। ऐसा इसलिए क्योंकि कोरोना टीके का प्रभाव केवल 90 दिन यानि तीन महीने तक ही रहता है। ऐसे में बढ़ते संक्रमण से बचाव के लिए जितना सजग और सतर्क रहेंगे, उतना ही संक्रमण से बचे रहेंगे।

प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे ने बताया कि अगर कोरोना की दोनों डोज लगवाने के बाद यदि 90 दिन का समय बीत गया है, तो अधिक सतर्कता बरतने की जरूरत है। कोविड प्रोटोकॉल का पालन गंभीरता से करना होगा। उन्होंने बताया कि यह भी जानना जरूरी है कि ओमिक्रॉन वेरियंट से ज्यादा प्रभावी डेल्टा प्लस वेरियंट हैं।

इसका असर दस गुना फेफड़े पर अधिक पड़ता है। जिस तरह से ओमिक्रॉन तेजी से फैलने लगा है, ऐसे में ओमिक्रॉन और डेल्टा साथ साथ जब प्रभावी होंगे तो ज्यादा मुश्किल होगी। प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे का कहना है कि डेल्टा प्लस के मुकाबले ओमिक्रॉन से संक्रमण दर 70 गुना अधिक है।

प्रो. ज्ञानेश्वर चौबे का कहना है कि जिस तरह से देश, प्रदेश और जिलों में मरीज मिल रहे हैं। यह तीसरी लहर का संकेत हैं। इसमें कई जगहों पर तो तीसरी लहर आ भी गई है। अगर बाहर निकलने पर मॉस्क, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया तो कोई परेशानी नहीं होगी। सरकार ने समय पर किशोरों के टीकाकरण के साथ ही स्वास्थ्यकर्मियों और बुजुर्गों को बूस्टर डोज लगाने का फैसला लिया है।

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