हार से मिली सीख : देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस धीरे-धीरे अपनी जमीनी धार खो रही है। हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा है। पांच राज्यों में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस अब आत्ममंथन मोड में आ गई है। युवा नेतृत्व और नए प्रयोगों के धराशायी होने के बाद कांग्रेस अपने निष्कासित वरिष्ठ नेताओं को फिर से वापस लेने पर विचार कर रही है।
खुद प्रियंका इसको लेकर गंभीर हैं। यही वजह है कि वह प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से एक-एक कर मिल रही हैं। हार के कारण और पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने के सुझाव ले रही हैं। यहां तक कि जो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी या पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलना चाहते हैं, उनके लिए समय का प्रबंध किया जा रहा है। अभी तक पार्टी के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम्, प्रमोद तिवारी, सतीश आजमानी, अजय राय और अजय कुमार लल्लू कांग्रेस महासचिव प्रियंका से मिलकर सुझाव दे चुके हैं।
हाईकमान को उम्मीद थी कि नया नेतृत्व नए जोश के साथ काम करेगा, जिसके अच्छे परिणाम मिलेंगे, लेकिन हकीकत में पार्टी वह जनाधार भी खो बैठी, जो खराब से खराब वक्त में साथ रहा था। पर अब माना जा रहा है कि पार्टी में अनुभवी नेताओं फिर सिक्का चलेगा और युवाओं को उनके नेतृत्व में काम करने के अवसर मिलेंगे। लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस के पुराने नेता या तो पार्टी छोड़ गए या फिर साइड लाइन कर दिए गए। पार्टी के ही एक नेता ने सोशल मीडिया पर 30 से ज्यादा ऐसे पूर्व विधायकों और सांसदों की सूची प्रदर्शित की, जो पार्टी से नाता तोड़ चुके हैं।
पार्टी प्रदेश में सांगठनिक रणनीति बदलने पर विचार कर रही है, जिन नेताओं को पिछले दिनों निष्कासित किया गया था, उनमें से कई नेताओं को वापस लेने पर मंथन शुरू हो चुका है। बशर्ते इन नेताओं ने गांधी-नेहरू परिवार पर सीधे बड़े हमले न किए हों।
