वाराणसी: वाराणसी के आईएमएस बीएचयू के प्रोफेसर में एम्स जैसी सुविधा को लेकर यहां के ही अधिकारियों की भूमिका पर सवाल खड़ा किया है। हृदय रोग विभाग के अध्यक्ष प्रो. ओमशंकर ने फेसबुक पर एक पोस्ट शेयर कर आईएमएस अधिकारियों पर सेंटर फॉर क्लीनिकल इन्वेस्टिगेशन (सीसीआई) लैब को बेचने की तैयारी करने का आरोप लगाया है।
प्रो. ओमशंकर ने लिखा कि रोज इलाज को आने वाले हजारों मरीजों की सबसे बड़ी समस्या लंबी-लंबी लाइन और जांच में पूरे दिन भटकने में गुजर जाना है। कई लोग इसी डर से बीएचयू में चाहते हुए भी इलाज करवाने नहीं आते हैं। इन्हीं सबके बीच एक विभाग तेजी से विकसित हो रहा है, जिसे लैब मेडिसिन कहा जाता है। इसी तरह स्मार्ट लैब भी आ गई है। जिसमें पलक झपकते ही, एक ही जगह एक ही संकलित सैंपल से सैकड़ों टेस्ट कर डालते हैं।
प्रो. ओमशंकर ने लिखा है कि यह तकनीक न केवल मरीजों को दिनभर जांच के लिए इधर-उधर भटकने से मुक्ति दिलाता है। बल्कि कम समय और कम खर्च में ही कई तरह की जांच भी हो जाती है। प्रोफेसर ने लिखा है कि एक तरफ एम्स के अधिकारियों ने अपने यहां मरीजों की असुविधाओं को देख वन स्टॉप स्मार्ट लैब लगवा दिया है, वहीं प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र स्थित आईएमएस बीएचयू के अधिकारी सीसीआई लैब को ही बेचने की तैयारी कर रहे हैं। यही एम्स और एम्स जैसी संस्थानों और यहां काम करने वाले अधिकारियों की सोच में फर्क है। प्रोफेसर के पोस्ट को लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं।
इस संदर्भ में बीएचयू के पीआरओ डॉ. राजेश कुमार सिंह का कहना है कि आईएमएस बीएचयू में सीसीआई लैब को बेचने का आरोप गलत है। नियमानुसार एमआरआई जांच की तरह पीपीपी मॉडल पर लैब संचालन कराने की तैयारी चल रही है। ताकि मरीजों को जांच आदि की सुविधाओं का लाभ मिल सके।