सलाह: इमली के खट्टे-मीठे स्वाद के कारण इसका नाम लेते ही सभी के मुँह में पानी आ जाता है। इमली अपने खट्टे-मीठे स्वाद के कारण देशभर में प्रसिद्ध है। इसका पेड़ सभी जगह आसानी से मिल भी जाता है। इमली का प्रयोग कई चीज़ो में, जैसे पानीपुरी का पानी तैयार करने, खाद्य पदार्थो को खट्टा बनाने और चटनी बनाने आदि में किया जाता है। लेकिन कुछ लोग इसे ऐसे भी खाना पसंद करते हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि इमली न केवल स्वाद में अच्छी होती है बल्कि इसका सेवन सेहत के लिए भी फायदेमंद होता है। शरीर को कई प्रकार के रोगों से बचाने में यह उपयोगी होती है।
इमली दक्षिण भारतीय व्यंजनों में प्रयोग किये जाने वाले सबसे सामान्य मसालों में से एक है। इमली का वैज्ञानिक नाम टैमॅरिन्ड है। इमली को भारत में कई नामों से जाना जाता है। इसे हिंदी में इम्ली, तेलुगू में चिंतपंडू, बंगाली में टेटुल, गुजराती में अम्ली, मराठी में चिंच, कन्नड़ में हंस और मलयालम में वालानपुली कहा जाता है।
इसमें कई प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे विटामिन-ए और विटामिन-सी। इसके अलावा इमली कैल्शियम, आयरन, मैंगनीज, फाइबर, पोटैशियम और फास्फोरस जैसे खनिजों से भी भरपूर होता है। शरीर में रक्तसंचार को बेहतर बनाने और आयरन की कमी को पूरा करने में इमली सहायक होती है, जिससे शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण अधिक होता है, और आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है।
आइए हम आपको बताते है इमली के सेवन से होने वाले फायदों और नुकसान के बारे में…
इमली दिल के लिए हैं फायदेमंद…
ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को कम करने में इमली बहुत उपयोगी है। यह खराब कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करती है और एंटी-ऑक्सीडेंट की मदद से अच्छे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ाती है। इससे हृदय संबंधी रोगों का खतरा भी कम होता है।
पाचन के लिए भी है अच्छा….
इमली का सेवन पाचन तंत्र के लिए भी अच्छा माना जाता है। दरअसल, इसमें फाइबर अच्छी खासी मात्रा में पाया जाता है, जो पाचन और वजन घटाने में मदद करता है और साथ ही गैस, अपच जैसी समस्याओं को भी दूर करता है।
याददाश्त भी बढ़ती है…
विशेषज्ञों का मानना है कि इमली के सेवन से शरीर में रक्त का संचार अच्छे से होता है। साथ ही यह लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में भी मदद करती है, जिससे शरीर की कमजोरी दूर होती है और याददाश्त बढ़ाने में भी मदद मिलती है।
जाने इमली के नुकसान …
अधिक मात्रा में इमली के सेवन से रक्तस्राव का जोखिम बढ़ सकता है। दरअसल, अधिक सेवन रक्त में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ा देता है, जिससे ब्लीडिंग की समस्या पैदा हो जाती है। गर्भवती महिलाओं को भी इसका सीमित मात्रा में ही सेवन करना चाहिए।
