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श्मशान घाट: एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने कहा- देश के हर जिले में बनेगा पशुओं का श्मशान, पर्यावरण सुरक्षा के चलते उठाया ये कदम

लंपी वायरस: पशुओं को मौत की नींद सुलाने वाला ‘लंपी वायरस’ देशभर में पांव पसार रहा है, इस बीमारी से कई राज्यों में हड़कंप मच गया है l कई राज्यों को बुरी तरह से प्रभावित कर रहे लंपी स्किन डिजीज (एलएसडी) वायरस ने उत्तर प्रदेश में भी जबरदस्त ढंग से पशुओं को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है।

इस वायरस से राजस्थान समेत कुछ राज्यों से पशुओं के मौतों की भयावह तस्वीरें भी सामने आ रही हैं। पशुओं की मौत के मामले में संज्ञान लेते हुए एनिमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया ने सभी राज्यों को एडवाइजरी जारी की है। इसके माध्यम से सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को निर्देश दिया गया है कि मरने के बाद भी जीवों को सम्मान मिलना चाहिए, उनके शवों को यूं ही खुले में न फेंका जाए।

वे अपने राज्य के हर जिले में कम से कम एक ऐसा श्मशान घाट जरूर बनाएंगे, जहां पर मृत पशुओं के शरीरों का दाह संस्कार उचित सम्मान के साथ किया जा सके। एनिमल वेल्फेयर बोर्ड आफ इंडिया के चेयरमैन डॉ. ओपी चौधरी ने सभी राज्यों को जारी किए गए अपने पत्र में लिखा है कि कोई भी पालतू किसी भी वजह से हमारे जीवन में आता है, तो वह हमें सिखाते हैं कि बिना किसी शर्त के प्यार करना, प्रतिबद्धता और वफादारी क्या है। हम उनके जीवन से बहुत कुछ सीखते हैं और फिर एक दिन हमें उस कठोर वास्तविकता का सामना करना पड़ता है ,जब वे अपने प्राण खो बैठते हैं।

ऐसे समय में अगर हम उन विकल्पों को जानते हैं जो उनके दाह संस्कार के लिए किए जाने में मदद करते हैं, तो यह हमारे लिए लाभकारी होता है। अपने पालतुओं को हमें छोड़कर जाते देखना आसान नहीं होता, मगर हम चाहते हैं कि उन्हें सम्मान के साथ इस संसार से विदा किया जाए। मरने के बाद उनकी देह का अपमान न हो। मृत पशुओं के शवों का निपटान हमारे देश में एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। मृत पशुओं के कारण रोगों को फैलने से रोकना, हवा और पानी की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए मृत पशुओं को दफनाना या उन्हें जलाना एक जरूरी कदम होता है।

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