देशी चिकित्सा: वर्तमान में एलोपैथी चिकित्सा पद्धति और इसकी दवाएं मरीजों के इलाज के लिए सर्वश्रेष्ठ समझी जाती हैं। पूरे विश्व में इनका उपयोग हो रहा है। लेकिन केंद्र सरकार भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को लगातार बढ़ोतरी देने के लिए प्रयास कर रहा हैl
भारत की आयुर्वेदिक सहित अन्य सभी देशी दवाइयों की गुणवत्ता सुधारने और उन्हें अंतरराष्ट्रीय बाजार में बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय ने अमेरिकी हर्बल फॉर्माकोपिया के साथ समझौता किया है। इसके अंतर्गत आयुष मंत्रालय अमेरिकी हर्बल के साथ मिलकर विशेष अनुसंधान कर उनकी गुणवत्ता और वैज्ञानिक विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए रिसर्च कार्य करेगा। इससे भारतीय दवाओं और चिकित्सापद्धतियों की अमेरिकी बाजार में स्वीकार्यता बढ़ेगी। आयुर्वेद सिद्धा, यूनानी और होम्योपैथी चिकित्सा पद्धतियों को मूल भारतीय चिकित्सा पद्धतियों के रूप में देखा जाता है।
इस समझौते को भारतीय चिकित्सा पद्धतियों को लगातार बढ़ोतरी देने के उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। इस समझौते के बाद भारतीय आयुष चिकित्सा संस्थान और अमेरिकी हर्बल कंपनियां इस क्षेत्र की चुनौतियों की पहचान करेंगी और उसके समाधान का मार्ग तलाशेंगी। इसके बाद दोनों देशों की आयुर्वेद दवा निर्माता कंपनियां उस फॉर्मूले को स्वीकार कर उस आधार पर दवाइयों का निर्माण कर सकेंगी। इससे अमेरिकी बाजार में भारतीय चिकित्सा पद्धतियों से विकसित दवाओं की स्वीकार्यता का मार्ग स्वयं खुल जायेगा।
जड़ी-बूटियों से बनने वाली दवाइयों में मोनोग्राफ का विकास करना और औषधीय उत्पादों के मानकीकरण के लिए आंकड़ों का आदान-प्रदान करना इस समझौते की विशेषता है, जिससे भारतीय चिकित्सा पद्धतियों की दवाओं के लिए नया बाजार विकसित हो जाएगा।
