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लखनऊ विश्वविद्यालय बना नई शिक्षा नीति लागू करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय

लखनऊ विश्वविद्यालय नई शिक्षा नीति 2020 को पूरी तरह से अपनाने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय है। विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप बदलाव पिछले वर्ष ही प्रारंभ कर दिए गए थे। इसी क्रम में 2021 के अकादमिक सत्र में पूर्णतया नई शिक्षा नीति को अपनाने के के कारण लखनऊ विश्वविद्यालय के स्नातक पाठ्यक्रम में भी कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं, जिनमें 3 वर्ष की जगह 4 वर्ष का स्नातक कार्यक्रम, मल्टीपल एंट्री एग्जिट प्वाइंट, और छात्रों को आगे की अकादमिक जीवन के लिए शोध में भी ट्रेनिंग प्रदान करना शामिल है। स्नातक पाठ्यक्रम में किए गए यह सुधार निश्चय ही प्रदेश के छात्रों को पसंद आए होंगे, जिसकी वजह से विश्वविद्यालय के अकादमिक सत्र 2021-22 के स्नातक कार्यक्रम के विभिन्न पाठ्यक्रमों में प्रवेश हेतु प्राप्त हुए आवेदन पत्रों में वृद्धि हुई है।

बीएससी एग्रीकल्चर का पाठ्यक्रम काफी लोकप्रिय रहा क्योंकि 2020 के मुकाबले अकादमिक सत्र 2021 में इस पाठ्यक्रम में आने वाले आवेदन पत्रों की संख्या में 70.7 फ़ीसदी की वृद्धि दर दर्ज की गई। इस पाठ्यक्रम 2020 में 720 सीटों के लिए 228 फॉर्म प्राप्त हुए थे जबकि इस वर्ष कुल 779 आवेदन प्राप्त हुए हैं।

बीए के पाठ्यक्रम में नई शिक्षा नीति के दिशा निर्देशों के अनुरूप ऑनर्स की सीटें मिलाकर 1800 सीटें इस वर्ष विज्ञापित की गई थीं। 2020 के अकादमिक सत्र में इन 1800 सीटों के लिए कुल 9954 आवेदन प्राप्त किए गए थे। जबकि इस वर्ष के अकादमिक सत्र में 13 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 11442 आवेदन पत्र प्राप्त किए गए। बीए पाठ्यक्रम में प्रत्येक सीट पर 2020 में 5.53 फ़ीसदी आवेदक थे, जबकि 2021 में 6.36 फ़ीसदी आवेदक है।

इसी तरह बीकॉम पाठ्यक्रम में भी नई शिक्षा नीति के दिशा निर्देशों के अनुरूप बी कॉम और बीकॉम ऑनर्स की सीटों को मिला दिया गया है। बी काम की कुल 870 सीटों में 2020 के 10555 आवेदन पत्रों के मुकाबले 2021 में 12 फ़ीसदी की वृद्धि के साथ 11996 आवेदन पत्र प्राप्त किए गए। बीकॉम में प्रतियोगिता अधिक है यानी प्रति सीट 2020 में 12.13 फ़ीसदी आवेदकों के मुकाबले इस वर्ष 13.79 फ़ीसदी आवेदक हैं।

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