नरेंद्र गिरि मामला: महंत की मौत के बाद आनंद गिरि को सोमवार रात ही हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया गया था।महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध हाल में मौत के मामले में जेल भेजे जाने से पहले आनंद गिरि से करीब 27 घंटे तक पूछताछ चलती रही। इस दौरान उसके चेहरे पर किसी तरह के पश्चाताप के भाव नहीं दिखे तथा उसके चेहरे पर ग्लानि या गुरु की मौत पर किसी तरह के दुख के भाव भी नहीं दिखे। वह शून्य भाव से जवाब देता रहा।
मंगलवार दोपहर 12 बजे के करीब उसे शहर लाकर पुलिस लाइन ले जाया गया, जहां उससे पूछताछ शुरू हुई। आला अफसरों ने एक-एक कर उससे पूछताछ की। एक दिन पहले गठित एसआईटी के सदस्यों भी उससे सवाल किए। ज्यादातर सवालों के जवाब पर उसका यही कहना था कि वह निर्दोष है और उसे फंसाया गया।
पूछताछ के दौरान फिर आनंद ने मामले की उच्चस्तरीय जांच की बात कही। वह बार-बार खुद को निर्दोष और फंसाए जाने की बात कह रहा था। एक अफसर ने जब उससे पूछा कि उसे फंसाने की साजिश कौन रच सकता है, तो उसने जवाब दिया कि मामले की उच्चस्तरीय जांच करा ली जाए, सच्चाई सामने आ जाएगी। पूछताछ के दौरान आनंद गिरि को जब खाना दिया गया तो उसने इसे खाने से इंकार कर दिया। इस दौरान वह केवल पानी पीकर रहा। उसने न ही मंगलवार को कुछ खाया और न ही सोमवार खाना खाया था।
एक खास बात यह रही कि आनंद गिरि ने पूछताछ के दौरान अफसरों से महंत नरेंद्र गिरि के अंतिम दर्शन की भी इच्छा जताई। हालांकि पुलिस अफसरों ने उसे इसकी अनुमति नहीं दी। उसने कहा कि उस एक बार गुरु के अंतिम दर्शन करा दिए जाएं। आनंद गिरि के अधिवक्ता विजय द्विवेदी ने भी एक दिन पहले यह मांग उठाई थी। उन्होंने कहा था कि उनके मुवक्किल अभी सिर्फ मामले में आरोपी हैं और जब तक कोर्ट फैसला न करे, किसी को दोषी कहना सही नहीं है। ऐसे में उन्हें अपने गुरु के अंतिम दर्शन की अनुमति देनी चाहिए।
