मनी लॉन्ड्रिंग मामला: दाउद इब्राहिम की प्रॉपर्टी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार चल रहे 62 साल के एनसीपी नेता नवाब मलिक ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था । मलिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रिहाई की मांग की थी। राकांपा नेता नवाब मलिक को बड़ा झटका लगा है।
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया है। दरअसल, मलिक ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की थी, जिसके तहत हाईकोर्ट ने उनके तत्काल रिहाई के अंतरिम आवेदन को खारिज कर दिया था।
दरअसल, मलिक के खिलाफ प्रवर्तन निदेशायल लॉन्ड्रिंग मामले की जांच कर रहा है। फरवरी से मलिक ईडी की गिरफ्त में हैं। जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जांच के इस स्टेज पर दखल नहीं देंगे। ऐसे में आप उचित कोर्ट में जमानत याचिका दाखिल कीजिए। वहीं मलिक ने अपनी रिहाई की मांग करते हुए कहा था कि PMLA कानून 2005 का है। लेकिन उनकी गिरफ्तारी 1999 में हुए लेन-देन के लिए की गई।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एनसीपी नेता नवाब मलिक के खिलाफ बृहस्पतिवार को आरोपपत्र दाखिल किया था। यह मामला मलिक के अंडरवर्ल्ड कनेक्शन और उससे जुड़ी संपत्तियों की खरीद में पैसों की हेराफेरी से जुड़ा है। ईडी के वकीलों ने इस दौरान कहा था, कोर्ट की रजिस्ट्री में 5,000 से अधिक पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया गया है। धन शोधन रोकथाम कानून के मामलों की विशेष अदालत दस्तावेजों के सत्यापन के बाद आरोपपत्र पर संज्ञान लेगी। एनसीपी प्रवक्ता नवाब मलिक को इस मामले में ईडी ने 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था। फिलहाल वह न्यायिक हिरासत में आर्थर रोड जेल में बंद हैं।