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देश में एक बार फिर ‘एक देश एक चुनाव’ की चर्चा शुरु, शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव को सदन में पेश कर सकती है सरकार

एक देश एक चुनाव: जनगणना करवाने की चर्चा के बीच
देश में एक बार फिर ‘एक देश एक चुनाव’ की चर्चा शुरु हो गई है। इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई थी, अब मोदी कैबिनेट ने ‘एक देश, एक चुनाव’ पर कोविंद समिति की रिपोर्ट को मंजूरी दी है। इस रिपोर्ट में लोकसभा, विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव एकसाथ कराने की सिफारिश की गई है। केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सरकार आगामी शीतकालीन सत्र में प्रस्ताव को सदन में पेश कर सकती है।

कोविंद समिति ने साल की शुरुआत में अपनी रिपोर्ट भी राष्ट्रपति को सौंपी थी। 191 दिनों में तैयार 18,626 पन्नों की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2029 से देश में पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं। इसके बाद 100 दिनों के भीतर दूसरे चरण में स्थानीय निकाय के चुनाव कराए जा सकते हैं। कोविंद समिति ने यह भी कहा कि 1951 से 1967 के बीच एक साथ चुनाव हुए हैं।

जानकारी के अनुसार पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में 2 सितंबर, 2023 को एक साथ चुनाव पर उच्च स्तरीय समिति गठित की गई थी। समिति ने इस साल की शुरुआत में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,626 पन्नों वाली अपनी रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में बताया गया है कि 1951 से 1967 के बीच एक साथ चुनाव हुए हैं।

बता दें कि आजादी के बाद देश में पहली बार 1951-52 में चुनाव हुए। तब लोकसभा के साथ ही सभी राज्यों की विधानसभा के चुनाव भी संपन्न हुए थे। इसके बाद 1957, 1962 और 1967 में भी एक साथ लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराए गए। 1968-69 के बाद यह सिलसिला टूट गया, क्योंकि कुछ विधानसभाएं विभिन्न कारणों से भंग कर दी गई थीं।

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