वन नेशन-वन इलेक्शन: उत्तर प्रदेश में वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर राजनीति तेज हो गई है। कांग्रेस और सपा ने इसका जबर्दस्त विरोध किया है। इस पूरे मामले को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की एक दूसरे से बिल्कुल उलट प्रतिक्रिया देखने को मिली है। मायावती ने केंद्र की मोदी सरकार के इस प्रस्ताव और फैसले का समर्थन कर दिया है। वहीं अखिलेश यादव ने वन नेशन-वन इलेक्शन को लेकर बीजेपी पर निशाना साधते हुए तीखी प्रतिक्रिया दी है।
सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर भाजपा पर जमकर तंज कसते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इस फैसले पर प्रतिक्रिया जताते हुए उन्होंने लिखा कि जनता का सुझाव है कि भाजपा सबसे पहले अपनी पार्टी के अंदर जिले-नगर, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के चुनावों को एक साथ करके दिखाए फिर पूरे देश की बात करे। जनता के बहाने भाजपा पर हमला बोलते हुए अखिलेश ने लिखा कि जनता यह भी पूछ रही है कि आपके अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव अब तक क्यों नहीं हो पा रहा है, जबकि सुना तो ये है कि वहाँ तो ‘वन पर्सन, वन ओपिनियन’ ही चलती है।
उन्होंने सवाल किया कि अगर ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ सिद्धांत के रूप में है तो स्पष्ट करें कि प्रधान से लेकर प्रधानमंत्री तक सभी गांव, टाउन, नगर निकायों के चुनाव भी साथ ही होंगे या फिर त्योहारों और मौसम के बहाने सरकार की हार-जीत की व्यवस्था बनाने के लिए अपनी सुविधानुसार होंगे। सपा प्रमुख ने पूछा कि भाजपा जब बीच में किसी राज्य की चुनी गई सरकार गिरवाएगी तो क्या पूरे देश के चुनाव फिर से होंगे। किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू होने पर क्या जनता की चुनी सरकार को वापस आने के लिए अगले आम चुनावों तक का इंतजार करना पड़ेगा या फिर पूरे देश में फिर से चुनाव होगा।
उन्होंने सवाल किया कि इसको लागू करने के लिए जो संवैधानिक संशोधन करने होंगे, उनकी कोई समय सीमा निर्धारित की गयी है या ये भी महिला आरक्षण की तरह भविष्य के ठंडे बस्ते में डालने के लिए उछाला गया एक जुमला भर है? कहीं ये योजना चुनावों का निजीकरण करके परिणाम बदलने की तो नहीं है? ऐसी आशंका इसलिए जन्म ले रही है क्योंकि कल को सरकार ये कहेगी कि इतने बड़े स्तर पर चुनाव कराने के लिए उसके पास मानवीय व अन्य जरूरी संसाधन ही नहीं हैं।
वही दूसरी तरफ बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक देश-एक चुनाव को लेकर केंद्रीय कैबिनेट के फैसले का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि देश में लोकसभा, विधानसभा व स्थानीय निकाय का चुनाव एकसाथ कराने वाले प्रस्ताव को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी पर उनका स्टैंड सकारात्मक है। इसका उद्देश्य देश व जनहित में होना चाहिए।
आपको बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समिति की सिफारिश के मुताबिक ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। हालांकि अभी कैबिनेट ने कानून पास नहीं किया है। सिर्फ रिपोर्ट को मंजूरी दी है। केंद्र सरकार ने यह भी नहीं बताया है कि कानून पास या लागू कब किया जाएगा।