महाराष्ट्र: महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे द्वारा राष्ट्रपति चुनाव में समर्थन किस उम्मीदवार को दिया जाए, इस पर विचार करने के लिए बैठक बुलाई थी l उद्धव द्वारा बुलाई गई बैठक में सात सांसद नहीं पहुंचे। बैठक में शामिल होने वाले सांसदों में भी ज्यादातर ने राजग उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को समर्थन करने की अपील उद्धव से कर दी।
सोमवार को उद्धव द्वारा बुलाई गई बैठक में सात लोकसभा सदस्यों की अनुपस्थिति और उपस्थित सांसदों द्वारा द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने की अपील से स्पष्ट है कि यदि उद्धव ने अपने सांसदों की बात नहीं मानी, तो शिवसेना संसदीय दल में भी विभाजन तय है। आखिरकार पार्टी में बड़ी बगावत के बाद शिवसेना के नरम पड़ने के संकेत हैं। वह केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा नीत एनडीए सरकार की राष्ट्रपति प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू के समर्थन कर सकती है।
इस मुद्दे पर हुई बैठक में शिवसेना के कई सांसदों ने मुर्मू के समर्थन के पक्ष में राय प्रकट की थी। इस बैठक में संजय राउत अलग-थलग पड़ गए थे। उन्होंने शिवसेना द्वारा विपक्ष के साझा प्रत्याशी यशवंत सिन्हा के समर्थन की अपील की थी। लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे पार्टी के अधिकांश सांसदों की राय से सहमत होकर मुर्मू के समर्थन का फैसला कर सकते हैं।
ज्यादातर लोकसभा सदस्यों द्वारा द्रौपदी मुर्मू को समर्थन देने का दबाव बनाए जाने पर पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय राउत नाराज होकर बैठक से बाहर चले गए। बाद में राउत ने प्रेस से बात करते हुए कहा कि पार्टी जो भी फैसला करेगी, वे उसका सम्मान करेंगे।
