पहली बार आधिकारिक तौर से चीन ने माना है कि गलवान घाटी में उसके चार सैनिक मारे गए थे. चीन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) ने शुक्रवार को इन सभी सैनिकों को बहादुरी पदक से नवाजा. हालांकि, भारत और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया एजेंसियों का मानना है कि इस हिंसा में चीन के 45 सैनिक मारे गए थे.

चीन के सरकारी टीवी, सीजीटीएन ने बताया कि शुक्रवार को सीएमसी ने मारे गए इन सभी सैनिकों को फ़र्स्ट क्लास मेरिट साइटेशन और मानद उपाधि से सम्मानित किया है. सीजीटीएन के मुताबिक, गलवान घाटी में भारतीय‌ सैनिकों से लड़ते हुए मारे गए पीएलए सेना के जवान चेन हॉन्गजुन को चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चायना (सीसीपी) द्वारा जारी इस ‘सदी के हीरो’ का खिताब दिया गया है. इस लिस्ट में कुल 29 चीनी नागरिक हैं, जिन्होनें पिछले 100 सालों में चीन की सीमाओं की सुरक्षा, कोरियाई युद्ध, जापान से युद्ध, पुलिसिंग, स्वास्थय सेवाओं आदि में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

चीन द्वारा गलवान घाटी में मारे गए सैनिक को सदी के हीरो का खिताब दिए जाने से पता चलता है कि 15-16 जून 2020 की रात को पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच कितनी भंयकर जंग हुई थी, हालांकि इस दौरान एक भी गोली नहीं चली थी. इसके अलावा अन्य शहीद सैनिक चेन जियानगॉन्ग, जिओ सियुआन और वांग जुओरन को फ़र्स्ट क्लास मेरिट साइटेशन दिया गया है. चीन के जवानों का नेतृत्व करने वाले एक कर्नल, क्यू फेबाओ (रेजीमेंटल कमांडर) जो हिंसा के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे उन्हें ‘हीरो कर्नल’ की उपाधि से सम्मानित किया गया है. हालांकि, सीजीटीएन ने गलवान का नाम नहीं लिया है और कहा है कि ‘जून के महीने में एक सीमा विवाद’ में ये क्षति हुई है. लेकिन ग्लोबल टाइम्स ने साफ लिखा है कि गलवान घाटी की हिंसा (15-16 जून 2020) में ये हानी हुई है.

भारत और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया का मानना है कि चीन के कम से कम 45 सैनिक गलवान घाटी की हिंसा में मारे गए थे. लेकिन सीएमसी ने मारे गए कुल सैनिकों की संख्या नहीं बताई है, उन सैनिकों की जानकारी दी गई है, जिन्हें बहादुरी के लिए सम्मानित किया गया है. चीन की सेंट्रल मिलिट्री कमीशन (सीएमसी) ने ये सम्मान पीएलए सैनिकों को दिया है. सीएमसी, चीन की सबसे बड़ी सैन्य संस्था है और चीन के राष्ट्रपति, शी जिनपिंग इसके चैयरमैन हैं.

गलवान घाटी की हिंसा में भारतीय‌ सेना के कुल 20 सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे, उनमें से छह को वीरता मेडल से नवाजा गया था. कर्नल संतोष बाबू को मरणोपरांत महावीर चक्र और पांच अन्य सैनिकों (चार मरणोपरांत) को वीर चक्र.

गौरतलब है कि नौ महीने के टकराव के बाद भारत और चीन पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर डिसइंगेजमेंट के लिए तैयार हो गए हैं और दोनों देशों की सेनाओं ने फ्रंटलाइन से पीछे हटना शुरू कर दिया है.

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