Main Stories

Gandhi Jayanti Special: गांधी जी की 152वीं जयंती के विषेश अवसर पर जानें उनके जीवन से जुड़ी ये खास बातें

2 अक्टूबर का दिन भारत के लिए काफी महत्वपूर्ण है। इस दिन भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। 2 अक्टूबर को हर वर्ष गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है। महात्मा गांधी का जन्म  2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। अंग्रेजों से आजादी दिलाने में महात्मा गांधी का विशेष योगदान रहा है। इस साल महात्मा गांधी की 152वीं जयंती मनाई जाएगी। महात्मा गांधी को बापू के नाम से भी जाना जाता है। 2 अक्टूबर को हर साल अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस भी मनाया जाता है।

गांधी जी का शैक्षिक जीवन

गांधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबंदर में हुई थी। इसके बाद इनके पिता का राजकोट ट्रांसफर हो जाने की वजह से उन्होंने राजकोट से अपनी बची हुई शिक्षा पूरी की। 4 सितम्बर 1888 को इंग्लैण्ड के लिये रवाना हुए। गांधीजी ने लंदन में लंदन वेजीटेरियन सोसायटी की सदस्यता ग्रहण की और इसके कार्यकारी सदस्य बन गये। गांधी जी लंदन वेजीटेरियन सोसाइटी के सम्मेलनों में भाग लेने लगे और पत्रिका में लेख लिखने लगे। यहां 3 सालों (1888-1891) तक रहकर अपनी बैरिस्टरी की पढ़ाई पूरी की और सन् 1891 में वापस भारत आ गए।

गांधी जी का विवाह

गांधी जी का विवाह सन् 1883 में मात्र 13 वर्ष की आयु में कस्तूरबा जी से हुआ था। लोग उन्हें प्यार से ‘बा’ कहकर पुकारते थे। कस्तूरबा गांधी जी के पिता एक धनी व्यवसायी थे । शादी से पहले तक कस्तूरबा पढ़ना-लिखना नहीं जानती थीं। गांधी जी ने उन्हें लिखना- पढ़ना सिखाया।

गांधी जी के प्रमुख आन्दोलन

भारतीय राष्ट्रवादी आंदोलन के एक जाने माने व्यक्ति महात्मा गांधी चाहें भारत हो या दक्षिण अफ्रीका लगभग स्वतंत्रता आंदोलनों में अग्रणी व्यक्ति थे। महात्मा गांधी ने अहिंसा की विचारधारा का पालन किया जिस पर उनके सभी आंदोलन आधारित थे। गाँधी जी स्वतंत्रता आंदोलनों के माध्यम से,असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन या चंपारण जैसे आंदोलनों में हमेशा मानव-अधिकारों के लिए खड़े रहे। महात्मा गांधी ने औपनिवेशिक शासन के चंगुल से भारत को आजाद कराने के लिए अपना खून-पसीना बहाया।

गांधी जी की अंतिम यात्रा

30 जनवरी 1948 को शाम 5 बजकर 17 मिनट पर नाथूराम गोडसे और उनके सहयोगी गोपालदास ने बिरला हाउस में गांधी जी की गोली मारकर हत्या कर दी थी। गांधी जी को तीन गोलियां मारी गयी थी, अंतिम समय उनके मुख से ‘हे राम’ शब्द निकले थे। उनकी मृत्यु के बाद नई दिल्ली के राजघाट पर उनका समाधि स्थल बनाया गया है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

To Top