लखनऊ विविः कोरोना संक्रमण के कारण लगातार दूसरे साल भी फाइनल ईयर के विद्यार्थियों को छोड़कर प्रमोट करने का निर्णय लिया गया। इस क्रम में लखनऊ विश्वविद्यालय ने पूर्व निर्धारित फार्मूले के अनुसार इंटरनल नंबर के आधार पर फर्स्ट सेमेस्टर के विद्यार्थियों को प्रमोट करने का निर्णय लिया। जानकारी के अनुसार विश्वविद्यालय से संबद्ध आधा दर्जन सेल्फ फाइनेंस व एक एडेड कॉलेज ने 20 नंबर के इंटरनल में अपने विद्यार्थियों को पूरे 20, 19 नंबर दिए, जिसके आधार पर उनका परिणाम तैयार किया गया तो किसी विद्यार्थी को 600 तो किसी को 585 तक नंबर मिले हैं l
लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दो दिन पहले बीकॉम फर्स्ट सेमेस्टर के प्रमोशन का परिणाम जारी किया है, इसमें अलग-अलग कॉलेजों के लगभग एक दर्जन से अधिक विद्यार्थियों को 600 में से पूरे 600 नंबर मिले हैं।
प्रमोशन का आधार विश्वविद्यालय ने इंटरनल मार्क्स को बनाया था। कॉलेजों ने अपने विद्यार्थियों को इंटरनल में दिल खोलकर नंबर दिए और उसका फायदा प्रमोशन में मिला। कोरोना के कारण काफी कुछ प्रभावित हुआ है, लेकिन विद्यार्थियों के मूल्यांकन का हमें सही आधार चुनना होगा।
हालांकि मामला चर्चा में आने के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने इस पर कॉलेजों से बात करने को कहा है।
साथ ही एक बड़ा सवाल भी खड़ा होता है कि अगर बिना परीक्षा, बिना पढ़ाई इस तरह विद्यार्थियों को नंबरों की रेवड़ी बांटी जाएगी तो वे आगे चलकर प्रतियोगी परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे?
ज्यादा से ज्यादा नंबर तात्कालिक खुशी तो देते हैं, लेकिन यह आगे काफी कष्टकारी भी हो सकते हैं। जब आप इतने अधिक नंबर के साथ किसी भी इंटरव्यू बोर्ड के सामने जाते तो हो उसकी भी अपेक्षा आप से बढ़ जाती है। इसलिए विद्यार्थियों का उचित और उनकी क्षमता के अनुसार ही मूल्यांकन होना चाहिए।
– प्रो. आलोक कुमार राय, कुलपति, लविवि
