लखनऊ विश्वविद्यालय वाणिज्य विभाग में संचालित भाउराव देवरस शोध पीठ द्वारा अप्रयुक्त ‘‘मेड इन इंडिया‘‘ गोल्डमाइन-हस्तशिल्प सर्वेक्षण परिणाम की रिपार्ट प्रो सोमेष कुमार शुक्ला, निदेषक शोध पीठ द्वारा माननीय कुलपति को प्रस्तुत की गई जिसके अवलोकनोपरान्त माननीय कुलपति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर यह निर्देषित किया कि शोध पीठ के उद्देष्यों के अनुरूप अपने विष्वविद्यालय के अध्ययनरत छात्र/छात्राओं में उद्यमषीलता की भावना एवं कौषल विकसित करने हेतु नई षिक्षा नीति के अनुरूप समय-समय पर प्रषिक्षण कार्यक्रम एवं कार्यषाला भी आयोजित की जाय। फरवरी 06 एवं 07, 2021 की अवधि में भाऊराव देवरस शोधपीठ द्वारा ओडीओपी एक जिला एक उत्पाद युग में हस्त शिल्प उत्पादकों की आवष्यताओं एवं चुनौतियों को चिहिन्त करने के लिए एक आंकलन किया गया।
हस्तषिल्प खुदरा विक्रेताओं की राय के अनुसार, हस्तशिल्प के चयन के दौरान सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता उत्पाद की गुणवत्ता, उचित डिजाइन एवं मूल्य है। इसके अतिरिक्त उत्पादकों/आपूर्तिकर्ताओं के बारे में जानकारी की कमी और हस्तशिल्प उत्पादों की प्रतिकूल कीमतें, उत्पादों की आपूर्ति के दौरान खुदरा विक्रेताओं के लिए बाधाओं के रूप में सामने आती हैं।
इस मूल्यांकन के माध्यम से प्राप्त आंकड़ों एवं तथ्यों को ध्यान में रखते हुए इस निष्कर्ष पर पहुंचा गया है कि हस्तशिल्प उत्पादकों को निम्न बिन्दुओं पर सहायता की जानी चाहिए-
ऽ बाजार की मांग के अनुसार अपने उत्पादों को बेहतर डिजाइन करना।
ऽ उनके उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार।
ऽ आपूर्तिकर्ताओं के साथ संबंध स्थापित करना।
ऽ उनके उत्पादों को बढ़ावा देना।
ऽ बाजार का हस्तषिल्प के प्रति दृष्टिकोण।
ऽ उत्पादकों के लिए प्रशिक्षण एवं कार्यषाला।
ऽ उत्पादकों के लिए कच्चें माल की उपलब्धता।
हुनर हाट में उत्पाद का आकलन सर्वेक्षण 56 स्टालों के मध्य किया गया था।
इस सर्वेक्षण शोध के माध्यम से किये गये तथ्यों एवं आंकडो़ से शोधपीठ पारंपरिक हस्तशिल्प बाजार की चुनौतियों एवं अवसर से परिचित हो गया। यह सर्वेक्षण परिणाम शिक्षाविदों/शोधकर्ताओं को बेहतर उत्पादकों और बाजार की आवष्यकताओं को समझने में सहायक होगी और परिभाषित करने एवं अनुवर्ती गतिविधियों को लागू करने के लिए, पर्यटन एवं हाटबाजार के लिए हस्तशिल्प में उत्पादों के डिजाइन एवं विकास में योगदान देगा।
