Elections news

यूपी: लोकसभा निर्वाचन की खर्च की अधिकतम सीमा 95 लाख, पेड न्यूज मामले में कर सकेंगे अपील

लखनऊ: चुनाव में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग हर उम्मीदवार के लिए चुनावी खर्च की अधिकतम सीमा तय करता है। इसलिए यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी नवदीप रिणवा ने सोमवार को राजधानी में अपने कार्यालय में मान्यता प्राप्त राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की। इसमें भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशों की विस्तार से जानकारी दी गई।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों को बताया कि राज्य के लिए विधानसभा निर्वाचन की अधिकतम सीमा 40 लाख रुपये और लोकसभा निर्वाचन की अधिकतम सीमा 95 लाख रूपये निर्धारित की गई है। उन्होंने बताया कि प्रत्याशी को 10 हजार से अधिक की सभी प्राप्ति और भुगतान बैंक के माध्यम से किया जाना अनिवार्य है। प्रत्येक प्रत्यशी अपने निर्वाचन व्यय का समुचित लेखा रखे। निर्वाचन खर्च का निरीक्षण अनिवार्य है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि अधिसूचना जारी होने के सात दिनों के भीतर मुख्य निर्वाचन अधिकारी और भारत निर्वाचन आयोग को स्टार प्रचारकों की सूची उपलब्ध कराई जानी है। नेता (स्टार प्रचारक) अगर निर्वाचन क्षेत्र में रैली या बैठक के लिए प्रत्याशी के साथ मच साझा करते हैं, तो बैठक का खर्च उस नेता और ऐसे सभी प्रत्याशियों के निर्वाचन व्यय में बांटा जाएगा। प्रत्याशी रिटर्निंग आफिसर से अनुमति प्राप्त कर वाहनों का चुनाव प्रचार में उपयोग कर सकता है। उन्होंने बताया कि शपथ पत्र में अभ्यर्थी को अपने सोशल मीडिया एकाउंट और ई-मेल आईडी आदि सूचनाओं को देना है।


मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि राजनैतिक दलों को रैली, जुलूस और सार्वजनिक बैठकों के लिए संबंधित रिटर्निंग आफिसर से अनुमति लेनी होगी। मीडिया प्रमाणन एवं निगरानी समिति (एमसीएमसी) राजनीतिक विज्ञापनों का पूर्व प्रमाणन, पेड न्यूज निगरानी और रिपोर्टिंग की मॉनिटरिंग करेगी। सभी विज्ञापन एमसीएमसी की ओर से प्रमाणित किए जाने के बाद ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर प्रसारित किए जा सकेंगे। नामांकन दाखिल करने की तारीख से पेड न्यूज मामलों को ध्यान में रखा जाएगा। 

चुनाव आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान कर दिया है। इसके साथ ही राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों के लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी गई है। चुनाव आयोग ने साफ किया है कि कोई भी लोकसभा उम्मीदवार 95 लाख से रुपये से ज्यादा खर्च नहीं कर सकता है। वहीं, जिन राज्यों में लोकसभा चुनाव हो रहे हैं, वहां विधानसभा उम्मीदवार 40 लाख रुपये से ज्यादा खर्च नहीं कर सकता है। चुनाव में निष्पक्षता बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग हर उम्मीदवार के लिए चुनावी खर्च की अधिकतम सीमा तय करता है। इस खर्च में चाय-बिस्किट से लेकर गायकों और सोशल मीडिया पर दिए गए विज्ञापन का भी हिसाब होता है। चुनाव आयोग के नियम के अनुसार हर उम्मीदवार को नामांकन कराने के साथ ही एक डायरी में अपने रोजाना के चुनावी खर्च का हिसाब रखना होता है। यह सिलसिला चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने तक चलता है। इस दौरान कोई भी उम्मीदवार तय सीमा से ज्यादा पैसा नहीं खर्च कर सकता है।

Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Most Popular

Uncategorized

उत्तर प्रदेश पुलिस का सिपाही मिशन शक्ति जैसे अभियान को दिखा रहा ठेंगा!दो बीवियों के बीच फसा उत्तर प्रदेश पुलिस का सिपाही,एक बीवी घर तो दूसरी को ले तैनाती क्षेत्र में रह रहा था! घर वालों को पता चलने पर दूसरी को छोड़ा तो दूसरी बीवी ने किया मुकदमा!उत्तर प्रदेश में कानून का रखवाला ही कानून की धज्जियां उड़ा रहा,शादीशुदा होने के बावजूद कई सालों से दूसरी महिला को पत्नी बनाकर साथ में रह रहा था! बताते चलें कि देवरिया जिले का सिपाही ना०पु०062620433 रवि प्रताप जो पहले से शादीशुदा था महाराजगंज में तैनाती के दौरान महाराजगंज की एक महिला को भी अपनी पत्नी बनाकर साथ में रखा हुआ था! कई सालों तक साथ में रहने के बाद जब घर वालों को पता चला तो वह दूसरी बीवी को छोड़कर भागने के फिराक में लग गया! लेकिन दूसरी बीवी उसे भागता देख जिले के ही पुलिस अधीक्षक के पास शिकायत लेकर पहुंची और सिपाही रवि प्रताप के खिलाफ 376,और 493/506, समेत कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया है! अब सवाल यह उठ रहा है कि ऐसी धाराओं में मुकदमा दर्ज होने के बाद भी सिपाही रवि प्रताप निश्चिंत होकर अपनी ड्यूटी गोंडा जिले के जीआरपी में कर रहा है और कानून के बीच के बीच फसाकर दूसरी बीवी को प्रताड़ित कर रहा है!आपको बताते चलें कि महाराजगंज जिले में यह मामला काफी चर्चा में रहा है लेकिन विभागीय होने के नाते पुलिस विभाग के द्वारा भी आज तक ना तो सिपाही रवि प्रताप को गिरफ्तार किया गया ना ही उसकी दूसरी पत्नी के लिए न्याय संगत कोई कदम उठाया गया! कागजी कार्यवाही में कोटा पूर्ति करके सिर्फ महिला को थाने कचहरी और कोर्ट तक भगाया गया अब प्रश्न यह उठता है कि जब एक व्यक्ति कई सालों तक उक्त महिला के साथ रह रहा था तो ऐसे में उस महिला के ऊपर पड़ने वाले खर्च का भार कौन उठाएगा और किस के भरोशे न्याय के नियत दर-दर भटकेगी! बात करने पर सिपाही रवि प्रताप की दूसरी पत्नी ने बताया कि सिपाही रवि प्रताप के रिश्तेदारों के द्वारा उसे जान से मारने की धमकी भी मिल रही है और तरह-तरह के कूट रचित योजनाओं सेवा किसी भी तरीके से मामले को सुलह के रास्ते पर ले जाना चाहता है! उक्त प्रकरण में जो कि मामला गिरफ्तारी का है कि बावजूद कानून व्यवस्था को ही इस्तेमाल कर उक्त सिपाही इस मामले से निकल अपनी रोटी सेक दूसरी महिला के जीवन के साथ खिलवाड़ कर रहा है! जहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मिशन शक्ति अभियान के तहत महिलाओं की सुरक्षा और उनके जीवन को मजबूत रखने के लिए तरह-तरह के कानून बना रहे हैं वहीं ऐसे भ्रष्ट और अयाश कानून के रखवाले सारे कानून को तोड़ सरकार की मंशा पर पानी फिरने का काम कर रहे हैं!(साक्ष्य मौजूद)

To Top