दिल्ली हाई कोर्ट में केस लड़ रहे समलैंगिक अधिकार के लिए लड़ने वाले लोगों और संस्थाओं को केंद्र सरकार से एक बार फिर से निराशा हाथ लगी है। समलैंगिक लोगों के बीच विवाह को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार से मांगे गए जवाब पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर अपना रुख साफ कर दिया है।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कल सोमवार 25 अक्टूबर को दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने का समलैंगिक विवाह से कोई लेना-देना नहीं है और वैध विवाह केवल जैविक पुरुष और जैविक महिला के बीच ही हो सकता है। नवतेज सिंह जौहर मामले पर केंद्र सरकार ने साफ किया कि उसने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया गया, लेकिन उसमें शादी की बात नहीं कही गई है।
