उत्तर प्रदेश के देवरिया में फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वाले दर्जन भर शिक्षकों व बीएसए कार्यालय के वित्त एवं लेखाधिकारी समेत 17 लोगों के विरुद्ध कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया है। इसमें बीएसए कार्यालय के कुछ कर्मचारी भी हैं। देवरिया सदर कोतवाली पुलिस ने एसटीएफ इंस्पेक्टर की तहरीर पर कार्रवाई की है।
जिले के कुछ परिषदीय विद्यालयों में बड़े पैमाने पर कूट रचित फर्जी प्रमाण पत्रों के सहारे शिक्षकों की नियुक्ति कुछ वर्ष पूर्व हुई थी। भाजपा की सरकार बनते ही इसकी जांच पूरे प्रदेश में शुरू हो गई। पिछले 4 वर्षों से गोरखपुर एसटीएफ मंडल के सभी जिलों में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर हुई नियुक्तियों की जांच कर रही है। देवरिया में एसटीएफ अभी तक दर्जनों शिक्षकों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है। एसटीएफ की जांच में बीएसए कार्यालय के कर्मचारी व व लेखाधिकारी फर्जी प्रमाण पत्र पर नौकरी करने वाले शिक्षकों पर मेहरबान दिखे।
उन्होंने फर्जी सत्यापन के आधार पर ही संदिग्ध शिक्षकों के वेतन का भुगतान कर दिया। वहीं डिस्पैच में भी कूट रचित कर तिथि अंकित की गई थी। जांच शुरू हुई तो आफिस रिकॉर्ड के कुछ पन्ने भी फाड़ दिए। एसटीएफ इंस्पेक्टर ने इसे गंभीरता से लेते हुए शुक्रवार की देर शाम सदर कोतवाली में तहरीर दी। कोतवाली पुलिस ने मामले में बीएसए कार्यालय के वित्त एवं लेखाधिकारी जगदीश लाल श्रीवास्तव, दिलीप कुमार उपाध्याय, राघवेन्द्र प्रसाद श्रीवास्तव, विमल कुमार शुक्ला, ब्रजेन्द्र सिंह, अजित उपाध्याय, राजकुमार मणि, ओमप्रकाश मिश्रा, जनार्दन उपाध्याय, विनय कुमार, कुमारी अंजना, सुरेन्द्र यादव, जगदीश यादव, कुमारी विमला यादव, नीतू रस्तोगी, श्वेता मिश्रा और रंजना कुमारी के विरुद्ध धारा 409, 419, 420, 467, 468, 471, 474, 120बी आईपीसी के तहत मुकदमा दर्ज किया है। एसटीएफ की इस कार्रवाई से शिक्षा महकमे में हड़कंप मच गया है।