लेड पॉइजनिंग: दैनिक जीवन में इस्तेमाल की जाने वाली बहुत सी चीजों में प्रयुक्त रसायन स्वास्थ्य के लिए गंभीर नुकसानदायक हो सकते हैं। लेड भी ऐसा ही एक रसायन है जिससे सेहत को होने वाले नुकसान को लेकर वैज्ञानिक लंबे समय से आगाह करते आ रहे हैं। लेड का उपयोग मुख्यरूप से ईंधन के लिए किया जाता रहा है, हालांकि इससे होने वाले नुकसान को देखते हुए साल 1999 से इसके उपयोग को प्रतिबंधित कर दिया गया है। अध्ययन में वैज्ञानिकों का कहना है कि भले ही दुनिया के ज्यादातर देशों ने इस खतरनाक रसायन को प्रतिबंधित कर दिया हो लेकिन लंबे समय तक हुए उपयोग के कारण वातावरण में मौजूद इसके अंश को खत्म होने में अभी कई दशक लग सकते हैं। इतने समय में वातावरण में मौजूद लेड, सेहत को गंभीर नुकसान पहुंचाने के लिए काफी है।
1920 के दशक में लेड का व्यापक रूप से ईंधन में उपयोग किया जाता था। इंजन नॉकिंग की समस्या को कम करने के लिए उस समय में पेट्रोल में टेट्राएथिल लेड मिलाया जाता था। 1970 के अंत तक इसका व्यापक रूप से इस्तेमाल होता रहा। एक अनुमान के मुताबिक करीब 50 साल के इस समय में अकेले यूके में 140,000 टन लेड वायुमंडल में छोड़ा गया था। यही कारण है कि लोगों में लेड पॉइजनिंग की समस्या गंभीर रूप से देखी जा रही है।
वातावरण में अब भी मौजूद है लेड
लेड के इस्तेमाल के प्रतिबंधित होने के करीब दो दशक बाद साल 2014 से 2018 के बीच लंदन में एकत्र की गई वायु के परीक्षण के दौरान वैज्ञानिकों ने पाया कि इसमें अब भी लेड के कण मौजूद हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक यह लेड पॉइजनिंग का कारण बन सकती है, जिसके सेहत पर गंभीर दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते हैं। विशेष रूप से इससे बच्चों को खतरा सबसे अधिक हो सकता है।
लेड पॉइजनिंग की समस्या
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, शरीर में महीनों या वर्षों तक लगातार एकत्रित हो रहे लेड के कारण लेड पॉइजनिंग की समस्या हो सकती है। शरीर में लेड की एकत्रित थोड़ी मात्रा भी गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकती है। 6 साल से कम उम्र के बच्चों में इस तरह की समस्या को खतरा अधिक होता है, बच्चों में यह मानसिक और शारीरिक विकास को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। जिन स्थानों पर लेड प्रदूषण अधिक होता है वहां के लोगों का जीवन भी खतरे में हो सकता है।
लेड पॉइजनिंग के लक्षण
स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, सभी लोगों में लेड पॉइजनिंग के लक्षण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। शरीर के कई हिस्से इससे प्रभावित हो सकते हैं। लेड के ज्यादा संपर्क में रहने वाले लोगों को कई तरह की गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। लेड पॉइजनिंग के लक्षण कई लोगों में गंभीर हो सकते हैं, इन्हें तत्काल डॉक्टरी देखभाल की आवश्यकता होती है। लेड पॉइजनिंग को जोखिम कारकों को समझते हुए इससे बचाव के उपाय करते रहने चाहिए।
1.पेट में दर्द और ऐंठन, कब्ज की समस्या
2. व्यवहार में आक्रामकता
3. नींद की समस्या
4. गंभीर सिरदर्द-चिड़चिड़ापन
5. बच्चों में विकास संबंधी समस्या
6. लगातार हाई ब्लड-प्रेशर बना रहना।
7. झटके आना या कोमा जैसी स्थिति
लेड पॉइजनिंग से बचाव और इसका इलाज
स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक सभी लोगों को लेड के संपर्क में आने से बचना चाहिए। लेड पॉइजनिंग के शिकार लोगों को उन स्थानों से दूर रहने की सलाह दी जाती है जहां से संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता हैं, जिन स्थानों पर लेड का खतरा अधिक होता है, वहां के लोग विशेष ध्यान रखें।
अपने घर को धूल से मुक्त रखने के प्रयास करें। बच्चों के खिलौनों और बोतलों को नियमित रूप से धोएं।
खाने से पहले अपने हाथों को धोना सुनिश्चित करें। नियमित रूप से नल और जलवाहकों को साफ करें।
पानी में लेड की जांच कराएं। यदि पानी में लेड की मात्रा है तो फ़िल्टरिंग उपकरण का उपयोग करें या बोतलबंद पानी पिएं।
