कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए नरम मौद्रिक नीति बनाए रखने का भरोसा देते हुए रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को अपनी नीतिगत दर रेपो को चार प्रतिशत के मौजूदा स्तर पर बनाए रखा है.

आरबीआई ने कोविड-19 की दूसरी लहर और उससे निपटने के लिए राज्यों में लगाये गये लाकडाउन और कर्फ्यू के बीच चालू वित्त वर्ष 2021-22 की आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को पहले के 10.5 प्रतिशत से घटा कर 9.5 प्रतिशत कर दिया.

मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी के सभी 6 सदस्यों ने ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने के पक्ष में अपना फैसला दिया. साथ ही रिजर्व बैंक ने जबतक कोरोना महामारी का असर कम नहीं होता, तब तक अपना रुख अकोमोडेटिव बरकरार रखने का फैसला किया है.

भविष्य में ब्याज दरों में किसी कटौती की गुंजाइश रहेगी तो वो हो सकती है. इसके अलावा मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट और बैंक रेट को भी 4.25 परसेंट पर बरकरार रखा गया है.

पिछले महीने जारी आरबीआई की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021-22 में मौद्रिक नीति का संचालन मैक्रोइकॉनॉमिक स्थितियों को विकसित करके निर्देशित किया जाएगा.

RBI ने वित्त वर्ष 2022 में महंगाई दर 5.1 फीसदी रहने का अनुमान लगाया है. शक्तिकांत दास का कहना है कि वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में 5.2 फीसदी, दूसरी तिमाही में 5.4 फीसदी, तीसरी तिमाही में 4.7 फीसदी और चौथी तिमाही में 5.3 फीसदी महंगाई दर रह सकती है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *