इलाहाबाद: बौद्धकालीन कला-दर्शन से दुनिया को परिचित कराने के लिए भारत का अमेरिका और दक्षिण कोरिया से संस्कृति मंत्रालय के जरिए करार हुआ है। इसलिए इलाहाबाद संग्रहालय की बौद्धकालीन मूर्तियां दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय संग्रहालय में प्रदर्शित की जाएंगी। फिलहाल, ये मूर्तियां अमेरिका के न्यूयार्क स्थित मेट म्यूजियम (न्यूयार्क मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट) की शोभा बढ़ा रही हैं। यहां से इन्हें तीन महीने के लिए दक्षिण कोरिया भेजा जा रहा है।
संस्कृति मंत्रालय की ओर से गठित नोडल एजेंसी नेशनल म्यूजियम दिल्ली को इलाहाबाद संग्रहालय की ओर से सात बौद्ध मूर्तियां हस्तांतरित की गई हैं। इनमें मध्य प्रदेश के भरहुत में 250 ईसा पूर्व यानी दूसरी शती के स्तूप के खंडहरों से प्राप्त सात कला अवशेष हैं।
कुछ महीने पहले इन कलाकृतियों को अमेरिका के न्यूयार्क स्थित मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट की ओर से बौद्ध धर्म पर लगाई गई प्रदर्शनी की दीर्घा में सजाया गया था। ट्री एंड सर्पेट: अर्ली बुद्धिज्म आर्ट इन इंडिया विषयक इस प्रदर्शनी में इन प्रस्तर प्रतिमाओं को रखा गया, जहां 20 लाख से अधिक कलाओं के बीच इन्हें दुनिया भर के कलाविदों और शोधार्थियों की ओर से न सिर्फ देखा गया, बल्कि बौद्धकालीन संदर्भों को समझने के लिए सहायक भी माना गया।
अतः संस्कृति मंत्रालय से हुए करार के बाद नोडल एजेंसी नेशनल म्यूजियम दिल्ली की ओर से इलाहाबाद संग्रहालय की सात बौद्ध प्रतिमाओं को न्यूयार्क के लिए भेजा गया था। अब वहां से इन मूर्तियों को तीन महीने के लिए दक्षिण कोरिया भेजा जा रहा है। गौतम बुद्ध के जीवन-दर्शन और उस दौर के कालक्रम को समझने के लिए इन कलाकृतियों को सात समंदर पार प्रदर्शनी का हिस्सा बनाया गया।
