किसान आंदोलन: नरेश टिकैत ने कहा कि सभी किसानों के सहयोग से दिल्ली के बॉर्डरों पर आंदोलन चल रहा है। 26 अगस्त को नौ माह पूरे हो जाएंगे। किसानों की यह आखिरी लड़ाई है। फिर आंदोलन नहीं होंगे। जो इस आंदोलन की बुराई करेगा, वह किसान कहलाने के लायक नहीं है। समाज को बचाने की जिम्मेदारी हर व्यक्ति की है। खेती के बाद खाली समय समाजसेवा में लगाओ। युवा पीढ़ी खेती से दूर हो रही है, इसे समझाओ।

भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने कहा कि पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में ऐतिहासिक महापंचायत होगी। यह किसानों के भविष्य की पंचायत है। सभी किसानों की जिम्मेदारी इस पंचायत को सफल बनाने की है। भेदभाव और गिले-शिकवे भुलाकर इस पंचायत को सफल बनाना है। टिकैत ने भाजपा सरकार पर तीखे प्रहार किए। नरेश टिकैत ने कहा कि यदि वर्ष 2022 में भाजपा सरकार फिर आ गई तो किसानों को 100 रुपये प्रति घंटा बिजली मिलेगी। एक हजार रुपये रोज बिल आएगा। 3.60 लाख का बिल आएगा साल का।

बुधवार को गठवाला खाप के लांक गांव में आयोजित सभा में नरेश टिकैत ने कहा कि यदि वर्ष 2022 में भाजपा सरकार आ गई तो किसानों की दुर्दशा तय है। किसानों का साल का 3.60 लाख रुपये का बिजली बिल आएगा। खेती कैसे करोगे। हरियाणा में गन्ने का बिल 350 रुपये क्विंटल है, यहां 325 रुपये है। बिजली हरियाणा में 250 रुपये महीना है। यहां 2100- 2200 रुपये है।

उन्होंने कहा कि हर सरकार में किसानों की सुनवाई हुई। भोपा के आंदोलन में 10-11 ट्रैक्टर मिले थे, 37 माह के बिल माफ हुए थे। मायावती सरकार में 80 रुपये बढ़े थे, अखिलेश सरकार में 65 रुपये बढ़े। जिन सरकारों में काम होते हैं, उन्हें याद रखा जाता है। टिकैत ने कहा कि राजीव गांधी ने किसानों के धरने के चलते वोट क्लब से अपनी रैली हटा ली थी, ये लालकिले की घटना दिखाते हैं। यह सरकार तरह-तरह के आरोप लगाकर बदनाम करना चाहते हैं। बहावड़ी थांबेदार श्याम सिंह, लांक थांबेदार रविंद्र सिंह, थांबेदार वीरसैन फुगाना, पूर्व विधायक पंकज मलिक, बुढ़ाना प्रमुख विनोद, देवराज पहलवान, भाकियू के निवर्तमान जिलाध्यक्ष कपिल खाटियान, वीर सिंह मलिक, विदेश मलिक, कालखंडे खाप के बाबा संजय कालखंडे, चरण सिंह लिसाढ़, जसवंत लिसाढ़, रविंद्र सिंह, अमित मलिक, अनिल मलिक, रामवीर सिंह, अंकुर मलिक, नीटू प्रधान आदि मौजूद रहे।

नरेश टिकैत ने कहा कि खरड़ की पंचायत के बारे में सुना। राजेंद्र सिंह हमारे बड़े हैं, उन्होंने दस दिन का समय दिया है। दस दिन तो बहुत दूर हैं। हमसे तो अभी कोरे कागज पर साइन करा लो और उसमें कुछ भी लिख लो, हम तो उन पर इतना विश्वास करते हैं। वह गलत हाथों में चले गए। मुख्यमंत्री से मिलकर वह सोच रहे हैं कि सब कुछ हो गया। यह सरकार हमेशा नहीं रहेगी। इसके बहकावे में न आएं। आखिर में अपना परिवार ही काम आता है। उन पर बड़ी जिम्मेदारी है। भूलचूक हो जाती है, वह भी अपने ही हैं।

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