कोरोना के कारण जहां कामधंधे मंदे हैं, वहीं बहुत से लोगों की नौकरियां भी चली गई हैं। इसका असर बकरा बाजार पर भी दिख रहा है। लोग बाजार में दिख जरूर रहे हैं, लेकिन ज्यादातर लोग बस दाम पूछकर ही लौट जा रहे हैं।जामा मस्जिद के बकरा बाजार में इन दिनों सुल्तान की काफी धूम है, और होना भी चाहिए सुल्तान के पेट पर कुदरती कलमा (ला इलाहा इल्लल्लाह मोहम्मदुर रसूल्लाह) लिखा जो है। जो भी जामा मस्जिद के बाजार में बकरा खरीदने आता है, वह सुल्तान को एक बार जरूर देखना चाहता है। सुल्तान का मालिक भी इसे पांच लाख रुपये से एक भी पैसा कम बेचने को तैयार नहीं है। इसी तरह लुधियाना से आया जुम्मन भी बाजार में चर्चाओं का विषय बना है। जुम्मन के मुंह पर मोहम्मद लिखा है। जुम्मन के लिए साढ़े तीन लाख रुपये की डिमांड की जा रही है।
सुल्तान के मालिक रतनलाल ने बताया कि वह परिवार के साथ बदायूं के आजमगंज-मड़िया में रहते हैं। सुल्तान जब छोटा था तो किसी ने बताया कि उसके पेट पर कलमा लिखा है। कई लोगों ने इसकी पुष्टि की। इसके बाद तो रतन लाल ने सुल्तान का खासा ख्याल रखा। पिछले करीब ढाई साल से उन्होंने सुल्तान को अपने बच्चों की तरह पाला। सुल्तान घर में परिवार के एक सदस्य की तरह रहा है। रोजाना वह बादाम, काजू के अलावा करीब दस किलो चने, पत्ती, खा लेता है। इसके अलावा घर में बने हुए खाने को भी शौक से खाता है। फिलहाल सुल्तान का वजन 100 किलो से ज्यादा है। 15 जुलाई को रतनलाल उसे लेकर दिल्ली आए थे। अब तक लोग उसके तीन से चार लाख रुपये लगा चुके हैं, लेकिन रतन उसे बेचने के लिए तैयार नहीं हैं।
दूसरी ओर जुम्मन के मालिक मोहम्मद जाहिद ने बताया कि वह पंजाब के लुधियाना से आए हैं। जुम्मन अमृतसरी नस्ल का उम्दा बकरा है। इसका वजन भी 100 किलो से ज्यादा है। बाजार में जुम्मन भी आकर्षण का केंद्र है।
फिलहाल दिल्ली के जामा मस्जिद, सीलमपुर, सीमापुरी, रमेश पार्क, जामिया नगर, निजामुद्दीन, नंद नगरी, सीमापुरी, मुस्तफाबाद समेत अन्य इलाकों में बकरों के बाजार लगे हुए हैं। यहां देसी, बरबरे, दोगले, राजस्थानी, तोतापरी, मेवाती, गंगापरी, अमृतसरी समेत अन्य नस्लों के बकरे मौजूद हैं। बाजार में 10 हजार से लाखों रुपये तक के बकरे मौजूद हैं। लोग अपनी जेब के हिसाब से बकरा खरीद रहे हैं।
