अंतरराष्ट्रीय बैठक: जैसा की चीन के बाद भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जक है। 31 अक्तूबर से ब्रिटेन के ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर होने वाले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (कॉप-26) में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिस्सा लेंगे। यह अंतरराष्ट्रीय बैठक 31 अक्तूबर से शुरू होगी।
ब्रिटेन के ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर होने जा रहे संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (कॉप-26) में भारत दुनिया के विकसित देशों के सामने सालों से लंबित जटिल मुद्दे उठाने के साथ पेरिस सम्मेलन के दौरान हुए समझौतों और वादों की याद दिलाएगा।
पर्यावरण सचिव रामेश्वर प्रसाद गुप्ता ने सम्मेलन को लेकर बताया कि पेरिस सम्मेलन में क्लाइमेट फाइनेंस को लेकर अहम वादा किया गया था, भारत उस पर ज्यादा कार्रवाई चाहता है। जो देश कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिए काम कर रहे हैं उन्हें कार्बन क्रेडिट मिलना चाहिए।
2025 तक सौ अबर डॉलर प्रति वर्ष का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अभी पहले का भी बाकी है। सचिव के मुताबिक बिगड़ते पर्यावरण से होने वाले नुकसान व क्षति को लेकर सैद्धांतिक मंजूरी का मुद्दा भी प्रमुखता से रखा जाएगा। द्वीप वाले देशों पर तापमान का प्रभाव पड़ रहा है सम्मेलन में इस पर सैद्धांतिक मंजूरी मिलनी चाहिए।
कॉप-26 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव, पर्यावरण क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ, मंत्रालय के अधिकारी व संबंधित अन्य टीमें हिस्सा लेंगी।
