एरा न्यूज़ डेस्क
महराजगंज-: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर संसद से लेकर आम जनमानस के बीच में बेहतर व्यवस्था का बखान कर रहे हैं लेकिन उन्हीं के गृह जनपद गोरखपुर से जुड़े महाराजगंज जिले में स्वास्थ्य सेवाओं का हाल यह है कि खुद मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अपना निजी आवास पर आम जनता से सुविधा शुल्क लेकर उनका उपचार कर रहे हैं और उनके अधीनस्थ डॉक्टर सरकारी आवासों में अपना कारोबार खोल रखा है मुख्य चिकित्सा अधीक्षक का साफ कहना है कि अस्पताल में सरकारी डॉक्टरों की कमी है जिसकी वजह से निजी डॉक्टरों को बुलाकर सरकारी अस्पताल का काम किया जाता है और मरीजों का इलाज भी इन्हीं सरकारी चिकित्सकों द्वारा की जाती है कहा जा सकता है कि महाराजगंज में सरकारी चिकित्सक निजी चिकित्सालयों में अपने मरीज देखने पहुंच जाते हैं और निजी चिकित्सालयों के डॉक्टर सरकारी अस्पतालों में अपना मरीज फिट करने में जुटे रहते हैं । हमारे एरा न्यूज़ चैनल के संवाददाता ने जब इस पर अपनी तहकीकात की तो एक के बाद एक नए खुलासे सामने आए जिसमें सबसे बड़ा मामला यह था कि खुद मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अपना निजी चिकित्सालय चला रहे हैं और उनका यह मानना है कि सरकारी अस्पताल के डॉक्टर इन की बात नहीं मानते हैं और खुले तौर पर अपना निजी अस्पताल सरकारी आवास में चला रहे हैं । जबकि सरकार उन्हें Non practice allowance (NPA) भी देती है. जैसा कि सरकारी डाक्टर्स प्राईवेट प्रैक्टिस के लिए अधिकृत नहीं होते हैं। लेकिन इसके बावजूद भी ये डाक्टर्स अपने आवास से प्रेकटिस करते हैं, लेकिन इसमें सिर्फ डाक्टर्स ही नहीं बल्कि जिला अस्पताल के सीएमएस खुद भी शामिल हैं और जब खुद सीएमएस साहब ही प्राईवेट प्रेकटिस में मस्त हो तो डाक्टर्स को कैसा डर.। इतना ही नहीं जब इस मामले में एरा न्यूज़ चैनल की टीम ने पड़ताल शुरू की तो कई अहम खुलासे हुए और सारी कहानी समझ आने लगी. इसके बाद जब हमारे संवाददाता ने अस्पताल के सीएमएस डा० एके राय से और सवाल पूछने चाहे तो उन्होंने हमारी टीम को ही देश के चौथे स्तम्भ यानी की मिडिया पर ज्ञान देना शुरू कर दिया।इस मामले में सीएमएस डाक्टर एके राय से बात करने पर उन्होंने बताया की ऐसे कई जिला अस्पताल हैं जहां पर डाक्टर्स नहीं हैं यहां अभी भी भाड़े के डाक्टर्स आकर काम करते हैं इसके बावजूद भी सरकारी महकमा शांत बैठा है।अब सवाल ये है कि क्या प्रदेश सरकार जो इस महामारी में पूरे देश और देश को यह बताने में जुटी है कि उसकी सरकार में बेहतर स्वास्थ व्यवस्थाएं आम जनमानस को उपलब्ध कराई गई है वहीं कभी गोरखपुर काही क्षेत्र कहे जाने वाला महाराजगंज जो आज महाराजगंज जिले के नाम से जाना जाता है वहां पर इंसानों की स्वास्थ्य सेवाएं जानवरों से बदतर हालत में की जा रही है कहीं यह वही नारे को तो नहीं बुलंद करता है कि आपदा में अवसर की तलाश की जाए देखा जाए तो साफ तौर से दिखाई देता है कि महाराजगंज जनपद में बीमारी के नाम पर डॉक्टरों ने आपदा में अवसर तलाश लिया है इतना ही नहीं जिला अस्पताल महराजगंज में कई ऐसे सरकारी डॉक्टर है जो महीने में एक बार आते है लेकिन तनख्वाह उनको पूरी दी जाती है जब इस तरह के मामले का खुलासा खुद सीएमएस साहब ने खुद किया।
इतना ही नहीं कि CMS AK राय दवाओं के नाम से मोटी कमीशन भी वसूलते हैं भोली भाली जनता से दवाओं के नाम से मोटी कमिशन से इनकी झोली भरी हुई है
CMS AK राय साहब जिला अस्पताल के कई सारे योजनाओं में जो सरकार की योजनाएं हैं उसमें 30-40 पर्सेंट तक कमीशन भी लेते हैं
जब संवाददाता ने इस मामले में डॉक्टरों की पड़ताल शुरू की तो यह भी पता चला कि जिला अस्पताल के स्वास्थ्य विभाग के अधीक्षक Dr AK राय सभी डॉक्टर से कमीशन सेट किये हुए हैं और उनसे मोटी रकम भी वसूलते हैं जब इस मामले में चैनल ने संज्ञान लेना शुरू किया तो यह पता चला कि दवाई के नाम पर CMS AK राय खुद बाहर की पर्ची पर मरीज देखते हैं और उनके द्वारा बाहर से निजी डॉक्टर से भी कमीशन सेट कर रखा है महराजगंज जिला अस्पताल में स्वास्थ्य महकमे में CMS Ak राय खुद ही महराजगंज जनपद में स्वास्थ्य विभाग में भ्र्ष्टाचार को बढ़ावा देने का कार्य कर रहे है जब कि प्रदेश सरकार भ्र्ष्टाचार मुक्त उत्तर प्रदेश बनाने के लिए हर जगह दावे कर रही है कही न कही मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश योगी आदित्यनाथ के मंशा पर पानी फेर रहा है अब देखना यह है कि सरकार इस मामले का संज्ञान लेना चाहेगी या फिर ये मामला जांच से पहले ही दबा दिया जाएगा।
