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लखनऊ विश्वविद्यालय में अध्यात्मिकता: एक स्वदेशी दृष्टिकोण विषय पर हुआ संगोष्ठी का आयोजन

मासिक अनुसंधान संगोष्ठी श्रृंखला, साइको हब क्लब, मनोविज्ञान विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय ने पीजी छात्रों के लिए “अध्यात्मिकता: एक स्वदेशी दृष्टिकोण” विषय पर एक ‘ई-टॉक’ का आयोजन किया। सत्र का आयोजन मनोविज्ञान विभाग की समन्वयक डॉ. अर्चना शुक्ला ने किया| स्वागत भाषण के साथ कार्यक्रम की शुरूआत हुई।

इस सत्र में मुख्य वक्ता अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग, सामाजिक विज्ञान संकाय के प्रोफेसर डॉ.अकबर हुसैन थे। उन्होंने बताया अध्यात्मिकता भारतीय संस्कृति, परंपराओं, साहित्य और भाषा, संगीत, नृत्य, शास्त्रों और मूर्तिकला का अमूल्य खजाना है।

अध्यात्मिकता ईश्वर के अस्तित्व को महसूस कराती है और एकता सिद्धांत का पालन करती है। अध्यात्मिकता प्रकृति में उत्कृष्ट और परिवर्तनकारी है। यह व्यक्तिगत परिवर्तन की एक प्रक्रिया है। अध्यात्मिकता में हम व्यक्ति की आध्यात्मिक अवस्थाओं का अध्ययन करते हैं।

भारत में हमारा धार्मिक हठधर्मिता और आध्यात्मिकता के बीच कोई मुकाबला नहीं है। आस्तिक और गैर-आस्तिक दोनों का आध्यात्मिकता के प्रति दृष्टिकोण हो सकता है। अध्यात्मिकता आत्मा को मजबूत करती है। ध्यान और प्रार्थना जैसे आध्यात्मिक व्यायाम आध्यात्मिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने में मदद करते हैं। आध्यात्मिकता हमारी आध्यात्मिक प्रकृति है जो आत्मा, धर्म, हवन / होम, यम, आत्म-ज्ञान, तंत्र, मोक्ष, इंद्रियों, कर्म, तपस और आनंद से बनी है।

इस मौके पर जूम एप पर विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ मधुरिमा प्रधान एवं कई अन्य फैकल्टी सदस्यों समेत करीब 50 छात्र मौजूद थे| प्रस्तुति के बाद प्रतिभागियों के साथ एक संवाद सत्र हुआ जिसमें उन्होंने अपने विचार साझा किए। सत्र का समापन मनोविज्ञान की सहायक प्राध्यापक डॉ. मेघा सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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