पश्चिम बंगाल: आज यानि सोमवार को सुप्रीम कोर्ट कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। जिसमें कलकत्ता हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि इस साल काली पूजा, दिवाली समारोह और कुछ अन्य उत्सवों के दौरान राज्य में सभी पटाखों की बिक्री, खरीद और उपयोग पर प्रतिबंध रहेगा।
दो याचिकाओं में दावा किया गया है कि कलकत्ता न्यायालय द्वारा पारित पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आदेश पूरी तरह से गलत था। जबकि पश्चिम बंगाल के भीतर जब शीर्ष अदालत ने सभी राज्यों में ग्रीन पटाखों के उपयोग की अनुमति दी है।
पश्चिम बंगाल स्थित पटाखा संघ के अध्यक्ष और इस तरह के एक अन्य समूह द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कम से कम 30 प्रतिशत कम प्रदूषण उत्सर्जन वाले हरे पटाखे स्थानीय बाजार में पेश किए गए हैं। ये पर्यावरण के अनुकूल हैं।
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि पटाखों से लगभग सात लाख परिवारों का घर चलता है। ये लोग पटाखों के निर्माण और बिक्री की प्रक्रिया में शामिल हैं और किसी न किसी तरह से आतिशबाजी उद्योग से जुड़े हैं। साथ ही याचिका में कहा गया है, अगर इस मौसम में पश्चिम बंगाल में पटाखों की बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाता है, तो विक्रेताओं और निर्माताओं को अपूरणीय क्षति होगी, जिससे पटाखा उद्योग पूरी तरह से बंद हो सकता है और लाखों लोगों पर आर्थिक संकट आ जाएगा।
दिवाली को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बेरियम जैसे खतरनाक रसायनों से बने पटाखों और पटाखों पर सख्त रोक लगा दी है। हालांकि कोर्ट ने ग्रीन पटाखों को छूट दी है।
