उत्तर प्रदेश के जौनपुर सहित अन्य जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर मिली करारी हार को सपाई भितरघाट का भी परिणाम मान रहे हैं। इसे लेकर कार्यकर्ताओं में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है। उधर, प्रदेश अध्यक्ष ने जौनपुर में मिली करारी हार को लेकर फोन पर जिलाध्यक्ष से जानकारी ली है। साथ ही पूरी स्थिति की समीक्षा कर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। शायद इस रिपोर्ट के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के दरबार में कुछ दिग्गजों की क्लास भी लग सकती है और उन पर कार्रवाई भी हो सकती है।
समाजवादी पार्टी जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर लगातार तीसरी बार कब्जा जमाने की कोशिश में थी। हालांकि शुरू से ही कुछ दिग्गज नेताओं की निष्ठा पर संदेह जताया जा रहा था। यह मामला पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के दरबार तक में पहुंचा था। इतना ही नहीं, पार्टी के मुखिया के सामने 42 जिला पंचायत सदस्यों को पेश कर सब कुछ ठीक-ठाक होने का दावा किया गया था।
सपाई भी अपनी जीत को लेकर इस वजह से दावा कर रहे थे कि उनके पार्टी का झंडा-बैनर लगाने वाले ज्यादा जिला पंचायत सदस्य चुनाव में जीते हैं। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। मतदान के दिन भी पार्टी के कैंप कार्यालय में 39 जिला पंचायत सदस्यों को अपने साथ रखा गया था, जबकि इसके अलावा सेंधमारी कर जीत के लिए 43 मत हासिल करने का सपना संजोए थे। बाद में परिणाम घोषित होने पर 12 ही मत मिले।
जौनपुर में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में जीत की हैट्रिक बनाने का सपना सपाइयों का टूट गया। सपा का जिले की इस प्रतिष्ठित पद पर लगातार साल 2013 से कब्जा था।