बड़ी तैयारी: बीते करीब आठ महीने से किसान आंदोलन में हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश की जाट बिरादरी मुखर भूमिका निभा रही है। पिछले चुनावों में इस बिरादरी ने भाजपा का साथ दिया था। हालांकि कृषि कानूनों के खिलाफ जारी आंदोलन में इस बिरादरी की मुखर भूमिका से भाजपा काफी आशंकित है।
ओबीसी संविधान संशोधन विधेयक के जरिये भाजपा और केंद्र सरकार की नजरें किसान आंदोलन पर है। इस आंदोलन में बढ़-चढ़ कर अपनी भूमिका निभा रही जाट बिरादरी को साधने के लिए भाजपा की योजना हरियाणा में जाटों को ओबीसी सूची में शामिल करने की है। यूपी विधानसभा चुनाव से पूर्व इस बिरादरी को साधने के लिए मोदी सरकार इन्हें केंद्रीय सूची में भी शामिल कर सकती है।
हरियाणा में इस बिरादरी को आरक्षण देने संबंधी राज्य सरकार के फैसले को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। हम सब जानते है कि जाट बिरादरी उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के कई हिस्सों में ओबीसी सूची में शामिल हैं। इसके अलावा लंबे समय से चली आ रही मांग के बावजूद जाट बिरादरी को केंद्रीय स्तर पर ओबीसी की सूची में अब तक जगह नहीं मिली है। इस संशोधन विधेयक के जरिये इसका रास्ता तैयार किया जा रहा है।
राजस्थान में भी पूरे राज्य की जाट बिरादरी ओबीसी में शामिल नहीं है। राज्य में सालों से यह बिरादरी खुद को पूरी तरह ओबीसी में शामिल करने की मांग करती रही है। संशोधन विधेयक के कानूनी जामा पहनने के बाद राज्य की गहलोत सरकार दबाव में होगी।