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BREAKING NEWS: आईसीएमआर और आईएलएस  के चिकित्सीय अध्ययनों में हुई पुष्टि, टीका लेने के बाद भी लोग हो रहे संक्रमित

चिंता:भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और ओडिशा स्थित इंस्टिट्यूट ऑफ लाइफ साइंसेज (आईएलएस) के चिकित्सीय अध्ययनों में पुष्टि हुई है कि डेल्टा वैरिएंट वैक्सीन लेने वालों को भी संक्रमित कर सकता है लेकिन मौत की आशंका बेहद कम है। अस्पताल में भर्ती होने की संभावना भी कम होती है। आईएलएस का अध्ययन मेडिकल जर्नल मेडरेक्सिव में प्रकाशित हुआ है।

टीका लेने के बाद भी लोग संक्रमित हो रहे हैं, इसके लिए वायरस के डेल्टा वैरिएंट को जिम्मेदार माना जा रहा है। अब दो अलग-अलग अध्ययन सामने आए हैं जिनके अनुसार कोवाक्सिन में सभी, कोविशील्ड लेने के बाद संक्रमित हुए 80 फीसदी में डेल्टा वैरिएंट की पुष्टि हुई है।दोनों खुराक लेने के बाद डेल्टा वैरिएंट से सबसे ज्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं लेकिन सच यह भी है कि संक्रमित होने के बाद घर में ही ठीक हो जा रहे हैं। डेल्टा के अलावा और भी वैरिएंट हैं जो एंटीबॉडी पर हमला कर रहे हैं, उनमें कप्पा व डेल्टा प्लस मुख्य भूमिका में हैं। l

अध्ययन में वैक्सीन लेने के बाद संक्रमित हुए 36 मरीजों के सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग कराई गई जिसमें से 29 में डेल्टा वैरिएंट मिला है। जबकि 12 फीसदी मरीजों में कप्पा व डेल्टा प्लस वैरिएंट की पुष्टि हुई है। वहीं जर्नल ऑफ इन्फेक्शन में प्रकाशित आईसीएमआर के अध्ययन में दोनों खुराक लेने के बाद संक्रमित हुए 134 में से 103 संक्रमित हुए हैं लेकिन इनमें 84 में डेल्टा वैरिएंट मिला है। वहीं 26 मरीजों के सैंपल में देरी होने के चलते सीक्वेंसिंग में निष्कर्ष नहीं निकल पाया।

वैज्ञानिकों का कहना है कि टीकाकरण पूरा होने पर संक्रमण के लक्षण दो सप्ताह बाद दिखाई भी दें तो भी चिंता की बात तब तक नहीं है, जब तक तकलीफ नियंत्रण से बाहर न हो। अध्ययन के मुताबिक 88 फीसदी लोगों में टीकाकरण के बाद संक्रमण होने पर लक्षण दिखाई देने लगते हैं लेकिन इनमें से एक फीसदी को भी अस्पताल में दाखिल कराने की जरूरत नहीं पड़ी।

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