तालिबान संकट: भीषण आर्थिक और सामाजिक संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान में इस समय हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं। अफगानिस्तान में आर्थिक संकट के चलते न तो रोजगार है और न ही कोई काम, ऊपर से तालिबान का खौफ अलग से है। अमेरिका की ओर से सैन्य वापसी के एलान और तालिबान की वापसी ने स्थितियों को और जटिल किया है। विदेशी तो विदेशी अफगान नागरिक भी यहां से निकलना चाहते हैं।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद मुश्किल समय से गुजर रहे यहां के नागरिकों की मदद के वादे के तहत भारत ने शनिवार को पहली बार जीवन रक्षक दवाओं की 1.6 टन खेप अफगानिस्तान पहुंचाई। यह दवाएं विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधियों को सौंपी गई। यह खेप काबुल से दिल्ली आई उसी चार्टर्ड फ्लाइट में भेजी गई, जिसमें 10 भारतीयों व 94 अफगानिस्तानी अल्पसंख्यकों को शुक्रवार को भारत लाया था।
भारत ने सड़क मार्ग से पाकिस्तान होते हुए 50 हजार टन अनाज व दवाएं अफगानिस्तान भेजने की घोषणा भी की थी, जिसकी तैयारियां हो रही हैं। भारत कोशिश में है कि अफगानिस्तान को मानवीय मदद मिलती रहे।
भारत में अफगानिस्तान के राजदूत फरीद महमूदजई ने बताया कि मुश्किल समय में यह दवाएं कई परिवारों के लिए मददगार साबित होंगी। वहीं भारत के विदेश मंत्रालय ने बताया कि अफगानिस्तान में चुनौतीपूर्ण हालात देखते हुए सरकार ने दवाओं की खेप विमान से भेजने का निर्णय लिया। इससे पहले लाए गए 94 अफगानिस्तानियों में हिंदू व सिख समुदाय के लोग शामिल हैं।