यूपी में भ्रष्टाचार: यूपी कोऑपरेटिव बैंक के अधिकारी वित्तीय अनियमितता में दोषी पाए गए अधिकारियों को बचाने में जुटे हैं। निलंबन और विभागीय कार्रवाई करने के अपर आयुक्त के आदेश के बावजूद ये अधिकारी अपने पदों पर तैनात हैं। अपर आयुक्त व अपर निबंधक सहकारिता ने एक बार फिर आरोपी अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रबंध निदेशक यूपी कोऑपरेटिव बैंक को पत्र लिखा है।
इसी तरह जिला सहकारी बैंक लिमिटेड कानपुर में विभिन्न तरह की खरीद में अधिकारियों ने भ्रष्टाचार किया था। शासन ने शिकायत के बाद जांच कराई तो पता चला कि बैंक व उसकी शाखाओं के लिए 9.96 लाख रुपये की नोट काउंटिंग फेक एंड नोट डिटेक्टिंग मशीन की खरीद बिना विज्ञापन और कोटेशन के की गई है।
जांच में तत्कालीन सचिव अशोक वर्द्धन पाठक, नाजिर संतोष कुशवाहा, उप महाप्रबंधक एके त्रिपाठी दोषी पाए गए। बैंक शाखाओं में साइन बोर्ड खरीदने और उसे लगवाने के लिए 7.02 लाख रुपये बिना टेंडर कोटेशन के किया गया। सीसीटीवी कैमरे व सिक्योरिटी एलार्म की खरीद में भी अधिकारियों ने गड़बड़ी की।
विशेष सचिव सहकारिता संदीप कौर ने इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर जिला सहकारी बैंक कानपुर के तत्कालीन उप महाप्रबंधक बृजेश विश्वकर्मा, तत्कालीन सचिव अशोक वर्द्धन पाठक को निलंबित करने और विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की थी। लेकिन बीते 3 जून और 15 जुलाई को भेजे पत्र भेजने के बावजूद दोनों ही अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की गई।
इसकी जानकारी पर अपर आयुक्त एवं अपर निबंधक सहकारिता बी. चंद्रकला ने प्रबंध निदेशक यूपी कोऑपरेटिव बैंक वरुण कुमार मिश्रा को फिर से पत्र भेजकर अशोक वर्द्धन पाठक और बृजेश विश्वकर्मा के खिलाफ कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
यूपी कोऑपरेटिव बैंक प्रबंधन को दोषी अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के लिए पत्र भेजा है। बैंक के उच्चाधिकारियों को ही निलंबन की कार्रवाई करने का अधिकार है।
बी. चंद्रकला, अपर आयुक्त व अपर निबंधक, सहकारिता
