यूपी: हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में सत्संग में मची भगदड़ में हुई 121 लोगों की मौत के मामले में पुलिस ने चार्ज शीट कोर्ट में दाखिल कर दी है। 3200 पेज की इस चार्जशीट में 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इस चार्जशीट में नारायण साकार हरि भोले बाबा उर्फ सूरजपाल का नाम नहीं था। इस बात को लेकर बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य सरकार को घेरा है। उन्होंने आरोप लगाया है कि राज्य सरकार के संरक्षण की वजह से हाथरस कांड की चार्जशीट में सूरज पाल सिंह उर्फ भोले बाबा का नाम नहीं है।
बसपा सुप्रीमो ने बृहस्पतिवार को सोशल मीडिया पर लिखा कि हाथरस में 2 जुलाई को हुए सत्संग भगदड़ कांड में 121 लोगों की मृत्यु हो गई थी, जिनमें अधिकतर महिलाएं और बच्चे थे। इस घटना की जांच के बाद अदालत में दाखिल चार्जशीट में भोले बाबा का नाम नहीं होना जनविरोधी राजनीति है, जिससे साबित होता है कि ऐसे लोगों को राज्य सरकार का संरक्षण है। उन्होंने इसे अनुचित करार देते हुए आगे लिखा कि मीडिया के अनुसार सिकन्दराराऊ की इस दर्दनाक घटना को लेकर 2300 पन्नों की चार्जशीट में 11 सेवादारों को आरोपी बनाया गया है। लेकिन बाबा सूरजपाल के बारे में सरकार द्वारा पहले की तरह चुप्पी क्या उचित है। ऐसे सरकारी रवैये से आगे ऐसी घटनाओं को रोक पाना क्या संभव होगा। इसे लेकर आमजन चिंतित है।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में सत्संग में मची भगदड़ में हुई 121 लोगों की मौत के मामले में पुलिस ने चार्ज शीट कोर्ट में दाखिल कर दी है। 3200 पेज की इस चार्जशीट में 11 लोगों को आरोपी बनाया गया है। इसका संज्ञान लेने और सुनवाई के लिए 4 अक्तूबर की तारीख नियत की गई है। 10 आरोपियों की न्यायालय में पेशी भी हुई। इस हादसे के संबंध में दर्ज कराई गई एफआईआर में नारायण साकार हरि भोले बाबा उर्फ सूरजपाल का नाम नहीं था। चार्जशीट भी फिलहाल गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ ही दी गई है। जानकारी के अनुसार इसमें बाबा का नाम नहीं है। बता दें कि हाथरस कांड के बाद बसपा ने सबसे पहले भोले बाबा की भूमिका की जांच कर कार्रवाई करने की मांग की थी।