रिपोर्ट – सन्दीप मिश्रा
रायबरेली : मिल एरिया थाना क्षेत्र की रहने वाली मंजू सिंह पत्नी राजेश सिंह निवासी ग्राम खरषेलवा मजरे मैनूपुर ने जमीनी के कारण अपनी मां की हत्या किए जाने की आशंका और खुद के परिवार की जान माल की सुरक्षा की मांग है। पुलिस अधीक्षक से पुलिस अधीक्षक को दिए गए पत्र में मंजू सिंह ने बताया है कि मीनू पत्नी राम सुख रामलाल पुत्र महावीर -समस्त निवासीगण ग्राम पूरे गुरूदीन मजरे जिगना थाना जगतपुर जिला रायबरेली कृष्णालाल पुत्र शंकर लाल ग्राम जयराम उर्फ मदारीगंज थाना ऊँचाहार जिला रायबरेली ने धोखे से उनकी मां की जमीन लिखवा ली है और अब उसे भी धमकी दे रहे हैं। प्रार्थिनी ने पत्र में कहा है कि उसकी मॉ राज कुमारी पत्नी स्व 0 अजमेर सिह निवासी पूरे बैसन मजरे जिगना मे अकेली रहती थी । प्रार्थिनी अपने माता पिता की इकलौती सन्तान है । प्रार्थिनी का विवाह राजेश सिंह निवासी खरथोलवा मजरे मैनूपुर के साथ हुआ था। प्रार्थिनी तब से अपनी पति एवं बच्चो के साथ अपनी ससुराल मे रहती है । दिनांक 12.07.2021 को जानकारी मिली कि सुबह करीब 9 बजे प्रतिपक्षीगण , प्रार्थिनी की माँ को पेन्शन बंधवा देने को कह कर बहला फुसला कर अपने साथ ऊँचाहार ले गये और मेरी माँ के नाम से अंकित समस्त जमीन,दान व बैनामा धोखा देकर करवा लिया । मेरी माँ बृद्ध एवं बीमार एवं अनपढ़ है । प्रार्थिनी को जब जमोन की लिखा पढी की जानकारी हुई तो वह अपने माँ के घर गयी घर पर नही मिली आस पास जानकारी किया तब से मेरी माँ का कोई पता नही चला प्रार्थिनी ने थाना जगतपुर मे माँ की गुमशुदी की तहरीर दिया मगर उस पर
कोई कार्यवाही नही हुई । प्रार्थिनी को अब इस बात की आशंका है कि जमीन की लिखा पढी कर प्रतिपक्षी मेरी माँ की हत्या कर देगे । प्रार्थिनी ने तहसील ऊँचाहार जाकर जानकारी किया और दान पत्र / बैनामा की कापी निकलवाया तो स्पष्ट : जानकारी हुई कि दान पत्र या बैनामा लिखवा लिया है परन्तु प्रार्थिनी की माँ वर्तमान समय मे कहा और किस हाल मे है इस बात की कोई जानकारी प्रार्थिनी को नही हो पा रही है । प्रार्थिनी को इस बात की आशका है कि प्रतिपक्षीगण , प्रार्थिनी की माँ की हत्या कर देगें । संपत्ति विवाद के कारण छोटी-छोटी घटनाएं गंभीर अपराध का रूप से लेती है एक तरफ बेटी का कहना है कि उसकी मां की हत्या जमीन को देखकर उक्त लोगों ने शायद कर दी है तो वही थाने की पुलिस मात्र गुमशुदगी दर्ज कर अभी तक मामले की छानबीन कर रही है। जबकि नियमतः किसी भी व्यक्ति के गुमशुदा होने की रिपोर्ट दर्ज होने के 48 घंटे बाद पुलिस को परिजनों द्वारा दी गई तहरीर के अनुसार मामला पंजीकृत कर जांच शुरू कर देनी चाहिए। लेकिन नतीजा है कि आज पीड़िता को पुलिस अधीक्षक की चौखट पर गुहार लगानी पड़ रही है।
