सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग की तरफ से सीएए कानून के खिलाफ याचिका दायर की गई है।  जिसमें कानून पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में नागरिकता संशोधन कानून 2019 के प्रावधानों को देश में लागू करने पर रोक लगाने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया है कि नागरिकता कानून के तहत कुछ धर्मों के लोगों को ही नागरिकता दी जाएगी, जो संविधान के खिलाफ है। मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह कानून उनके साथ भेदभाव करता है, जो देश के संविधान का उल्लंघन है।

केंद्र सरकार ने सोमवार को ही सीएए कानून लागू करने का नोटिफिकेशन जारी किया है। गौरतलब है कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) ने सीएए को चुनौती देते हुए रिट याचिका भी दायर की थी। आईयूएमएल ने सीएए के खिलाफ दायर अपनी रिट याचिका में अंतरिम आवेदन दिया, जिसमें आईयूएमएल ने तर्क दिया कि किसी कानून की संवैधानिकता तब तक लागू नहीं होगी, जब तक कानून स्पष्ट तौर पर मनमाना हो।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने सोमवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू करने की घोषणा की। सीएए 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के घोषणापत्र का एक अभिन्न अंग था। भाजपा सरकार के सत्ता में आने के बाद संसद ने 11 दिसंबर, 2019 को इसे अधिनियमित किया। साउथ अभिनेता दलपति विजय ने अपनी नाराजगी जाहिर की और नागरिकता (संशोधन) अधिनियम को अस्वीकार्य बताया है। और तमिलनाडु सरकार से इसे राज्य में लागू नहीं करने का अनुरोध किया है।

सीएए कानून के तहत भारत के तीन पड़ोसी देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक तौर पर प्रताड़ना के शिकार होकर भारत आने वाले गैर मुस्लिमों को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इस कानून के तहत 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आने वाले हिंदू, सिख, बौद्ध, पारसी, जैन और ईसाई वर्ग के लोगों को भारत की नागरिकता दी जाएगी।

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