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नई दरें : 800 जरूरी दवाएं 11 फीसदी तक होंगी महंगी, एक अप्रैल से लागू होंगी नई दरें, जाने किन प्रमुख दवाओं पर असर

महंगाई की मार: यूक्रेन संकट के कारण विश्व बाजार में कच्चे तेल के दाम बढ़ने से देश में पेट्रोल व डीजल की कीमतें फिर लगातार बढ़ रहीं हैं, वहीं हाल ही में गैस के दाम भी बढ़ा दिए गए हैं। तो देश में दर्द निवारक व विभिन्न संक्रमणों और हृदय, किडनी, अस्थमा के मरीजों की 800 आवश्यक दवाएं नए वित्त वर्ष में 10.76 फीसदी तक महंगी हो जाएंगी। राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने इसकी अनुमति दे दी है। नई दरें एक अप्रैल से लागू होंगी।

मरीजों के लिए उपयोगी ये दवाएं राष्ट्रीय आवश्यक औषधि सूची (एनएलईएम) के तहत मूल्य नियंत्रण में रखी जाती हैं। एनपीपीए की संयुक्त निदेशक रश्मि तहिलियानी के अनुसार, उद्योग प्रोत्साहन अैर घरेलू व्यापार विभाग के आर्थिक सलाहकार कार्यालय ने सालाना 10.76 फीसदी वृदि्ध की अनुमति दी है। विशेषज्ञों के अनुसार सूचीबद्ध दवाओं की मूल्यवृद्धि पर हर वर्ष अनुमति दी जाती है।

जानकारों के अनुसार, यह पहली बार है कि सूचीबद्ध दवाओं को सूची से बाहर की दवाओं से ज्यादा महंगा करने की अनुमति दी गई। मूल्य नियंत्रण सूची से बाहर की दवाएं सालाना 10 फीसदी बढ़ाने की अनुमति है। अब तक यह वृद्धि 1 से 2 फीसदी होती थी। 2019 में एनपीपीए ने 2 फीसदी  व 2020 में 0.5 फीसदी वृद्धि की अनुमति दी थी।

पैरासिटामोल, एजिथ्रोमाइसिन, सिप्रोफ्लोक्सासिन हाइड्रोक्लोराइड, मेट्रोनिडाजोल, फेनोबार्बिटोने जैसी दवाएं इस सूची में शामिल हैं। गंभीर रूप से कोविड प्रभावित मरीजों की दवाएं भी हैं। कई विटामिन, खून बढ़ाने वाली दवाएं, मिनरल भी इनमें हैं। कुल दवाओं की 16 फीसदी पर मूल्य नियंत्रण है। इनकी कीमत 11 फीसदी तक बढ़ेंगी। गैर-सूचीबद्ध दवाओं के दाम भी 20 फीसदी तक बढ़ाने की मांग फार्मा उद्यमियों ने की है।

30 श्रेणियों में 376 दवाएं रखी गईं। इनमें बुखार, संक्रमण, त्वचा व हृदय रोग, एनीमिया, किडनी रोगों, डायबिटीज व बीपी की दवाएं हैं। एंटी एलर्जिक, विषरोधी, खून पतला करने, कुष्ठ रोग, टीबी, माइग्रेन, पार्किंसन, डिमेंशिया, साइकोथेरैपी, हार्मोन, उदर रोग की दवाएं भी शामिल हैं।

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