आगरा: मंगलवार को ताजमहल सर्वधर्म सद्भाव की प्रतीक हिंदुस्तानी चादर से सतरंगी हो गया। मुगल बादशाह शाहजहां के उर्स के आखिरी दिन ताजमहल में धर्मगुरुओं ने 1381 मीटर लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर चढ़ाई, जिसे देखने और इसका हिस्सा बनने के लिए बड़ी तादाद में अकीदतमंद और पर्यटक उमड़ पड़े। सर्वधर्म सद्भाव की सतरंगी चादर को मुस्लिम धर्मगुरुओं ने ताजगंज के हनुमान मंदिर से रवाना किया। हिंदुस्तानी चादर चढ़ाने के बाद अकीदतमंदों ने यूक्रेन में फंसे भारतीयों की सलामती के लिए दुआ मांगी।
उर्स में न केवल सतरंगी, बल्कि फूलों और मोतियों की चादर भी उर्स में आकर्षण का केंद्र बनी रही। मंगलवार को पूरे दिन निशुल्क प्रवेश के कारण ताजमहल में सैलानियों का सैलाब उमड़ पड़ा। सूर्योदय के साथ ही ताजमहल में प्रवेश के लिए पर्यटकों की लंबी-लंबी कतारें लग गईं। एक अनुमान के मुताबिक उर्स के दौरान तीन दिनों में करीब डेढ़ लाख पर्यटकों ने ताजमहल का दीदार किया है। शाहजहां के उर्स के आखिरी दिन सुबह ही ताजमहल में तहखाने में स्थित शाहजहां और मुमताज की कब्रों को खोल दिया गया। फातिहा पढ़ी गई। इसके बाद कुलशरीफ और कुरानख्वानी के बाद चादरपोशी का सिलसिला शुरू हो गया।
मंगलवार को उर्स का आकर्षण रही 1381 मीटर लंबी हिंदुस्तानी सतरंगी चादर, जिसका एक छोर ताजगंज के दक्षिणी गेट पर था तो एक छोर मुख्य मकबरे पर। इस चादर को पेश करने के बाद देश-दुनिया में अमन-चैन की दुआ की गई। ताजमहल में उर्स के आखिरी दिन पहली चादर उर्स कमेटी द्वारा चढ़ाई गई। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारियों ने भी चादरपोशी की।
मुख्य मकबरे के द्वार पर कव्वालों ने कव्वालियां प्रस्तुत कीं। रायल गेट पर शहनाई गूंजती रही। उर्स के पहले दो दिन दोपहर दो बजे से ताजमहल में निशुल्क प्रवेश दिया गया। मंगलवार को पूरे दिन निशुल्क प्रवेश रहा। तीन दिन करीब डेढ़ लाख पर्यटकों ने ताज का दीदार किया। मंगलवार को सुबह से शाम तक पर्यटकों की कतारें लगी रहीं।
