BREAKING NEWS: पहला डीएनए आधारित कोरोना टीका, हर वर्ष 12 करोड़ डोज का उत्पादन संभव, स्प्रिंग युक्त डिवाइस से लगेगा टीका

राहत : देशभर में तीसरे चरण का परीक्षण कोरोना महामारी की दूसरी लहर के साथ 50 स्थानों पर चल रहा है। देश को कोरोना का एक और टीका मिल सकता है। अहमदाबाद की फार्मा कंपनी जायडस कैडिला ने सेंट्रल ड्रग्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) से जायकोव-डी टीके को इमरजेंसी में इस्तेमाल की अनुमति के लिए आवेदन किया है। ये दुनिया का पहला डीएनए आधारित कोरोना टीका होगा टीके को तैयार करने के लिए केंद्र सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी और आईसीएमआर ने जायडस कैडिला का सहयोग किया है।

जायकोव-डी टीके की डोज शरीर में जैसे ही जाएगी। टीका शरीर की कोशिकाओं को कोड देगा जिसके बाद शरीर में वायरस के बाहरी हिस्से जैसा दिखने वाला स्पाइक बनने लगेगा, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता इसे खतरा मानकर एंटीबॉडी बनाना शुरू कर देगी और शरीर कोरोना से बचने को तैयार हो जाएगा।जायकोव-डी प्लाजमिड डीएनए वैक्सीन है जिसे वायरस के जेनेटिक के आधार पर तैयार किया गया है।

दुनियाभर में सबसे अधिक दो डोज वाले कोरोना टीके का इस्तेमाल अधिक हो रहा है। कुछ वैक्सीन सिंगल डोज वाली भी हैं। जायकोव-डी दुनिया का पहला टीका होगा जिसकी तीन डोज हर 28 दिन के अंतराल पर लगेगी।
इस टीके को लगाने के लिए सिरिंज का इस्तेमाल नहीं होगा। एक स्प्रिंग युक्त डिवाइस के जरिये इस टीके को लगाया जाएगा जिसके तहत खुराक सीधे त्वचा में चली जाएगी और अपना असर शुरू कर देगी।

हर वर्ष 12 करोड़ डोज का उत्पादन संभव है। जायकोव-डी टीके का पहले, दूसरे और तीसरे चरण में 28 हजार लोगों पर परीक्षण हुआ है। इसमें से हजारों लोगों की उम्र 12 से 18 वर्ष के बीच थी। सीरो सर्वे में सभी स्ट्रेन में से 99 फीसदी डेल्टा वैरिएंट का था। पूरी उम्मीद है कि टीका डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ भी काम करेगा। अप्रैल, मई और जून में टीके के तीसरे चरण का परीक्षण हुआ है

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