कानपुर: उत्तर प्रदेश सरकार कूड़ा निस्तारण की समस्या का समाधान कराने के लिए कूड़े से बिजली (वेस्ट टू एनर्जी) बनाने का पहला प्लांट कानपुर में लगाने जा रही है। 10 साल पहले भी इस तरह का प्रयास हुआ था। मगर नेशनल ग्रिड की अपेक्षा यहां बिजली महंगी बन रही थी।इस वजह से प्लांट को बंद करना पड़ा था। ऐसे में कूड़े से सस्ती बिजली बनाना किसी भी नई कंपनी के लिए सबसे बड़ी चुनौती होगी।
कूड़े से बिजली बनाने का प्लांट लगाने के लिए जल्द ही स्थानीय स्तर पर अनुबंध किया जाएगा। शासन के निर्देशानुसार इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा।
एटूजेड कंपनी ने 12 साल पहले शहर के सभी वार्डों से कूड़ा उठाने और उसे पनकी के ग्राम भाऊसिंह में पांडु नदी के किनारे बने कूड़ा निस्तारण प्लांट में ले जाकर जैविक खाद बनाना शुरू किया था। इसके बाद 46 एकड़ जमीन पर बने प्लांट के पीछे पांडु नदी की दूसरी तरफ 2011 में कूड़े से बिजली बनाने के लिए 15 मेगावाट का प्लांट लगाया। इसके लिए आईएल एंड एफएस (फाइनेंस कंपनी) से लोन भी लिया। प्लांट को चालू कर नेशनल ग्रिड में बिजली देनी शुरू की।
कूड़े में प्लास्टिक वेस्ट कम आने से बिजली मानक से कम पैदा हो रही थी। इसके चलते नेशनल ग्रिड की बिजली से यह महंगी पड़ रही थी। कंपनी घाटे में बिजली बेचने को तैयार नहीं थी। इसलिए उसने प्लांट बंद कर दिया।
मौजूदा चुनौतियां
– कूड़ा निस्तारण प्लांट में कूड़े के पहाड़ों की वजह से जगह की कमी
– नेशनल ग्रिड के रेट से सस्ती बिजली बनाना
– प्लांट की लागत, खर्चे कम रखना
