बचाव की रणनीति: अफगानिस्तान में फिर से तालिबान का कब्जा होने के बाद खासतौर पर वहां के सिख गंभीर मुसीबत में हैं। दो दिन पूर्व अफगानिस्तान के दो सिख सांसदों सहित बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोगों को भारत लाया गया था। तालिबान से प्रताड़ित अफगानिस्तान छोड़ने पर मजबूर हुए अल्पसंख्यकों को सरकार जल्द नागरिकता देने की तैयारी कर रही है। इसके लिए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के कट ऑफ डेट में बदलाव लाया जा सकता है।
इस मामले में शीर्ष स्तर पर कानूनी राय लेने के बाद अंतिम फैसला लिया जाएगा। सीएए के प्रावधानों के मुताबिक 31 दिसंबर, 2014 तक भारत आए पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के शरणार्थियों को नागरिकता मिल सकती है। सीएए में बदलाव को संभव बनाने के लिए शीर्ष स्तर पर कानूनी राय लेने की तैयारी शुरू हो गई है।
बदलाव के लिए अध्यादेश को विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। सीएए को कानूनी जामा पहनाने के 20 महीने बाद भी इसके नियम अब तक तैयार नहीं हो सके हैं। गृह मंत्रालय ने नियम तय करने के लिए लोकसभा और राज्यसभा की समितियों से नौ जनवरी 2022 तक का समय मांगा है। अब इसी प्रक्रिया में अफगानिस्तान के सिख शरणार्थियों को त्वरित नागरिकता के लिए विचार विमर्श होगा।