वाराणसी: अंतरिम बजट 2017-18 में गंगा नदी पर मालवीय ब्रिज के समान एक नया ब्रिज विकसित करने की परियोजना स्वीकृत हुई थी। अब गंगा नदी में सिग्नेचर ब्रिज बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया है। गंगा नदी में सिग्नेचर ब्रिज का डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी अब रेलवे को दे दी गई है। मालवीय ब्रिज के बगल में बनने वाले इस ब्रिज की डीपीआर रेलवे की ओर से तैयार की जाएगी।
इनलैंड वाटर वेज अथॉरिटी आफ इंडिया की ओर से इस परियोजना के लिए एनओसी भी मिल चुका है। पहले डीपीआर बनाए जाने के लिए एनएचएआई के नाम पर सहमति बनी थी। अब रेलवे की ओर से डीपीआर बनाने का काम जल्द ही शुरू हो जाएगा। ट्रांसपोर्ट हब के रूप में विकसित हो रहे वाराणसी से पंडित दीनदयाल उपाध्याय नगर जंक्शन को जोड़ने के लिए नमो घाट के पास से डबल डेकर सिग्नेचर ब्रिज बनाया जाना प्रस्तावित है।
राजघाट से पड़ाव को जोड़ने वाले मालवीय पुल के समानांतर बनने वाला यह ब्रिज गंगा के 30 मीटर डाउन स्ट्रीम से शुरू होकर पड़ाव तक पहुंचेगा। स्थानीय स्तर पर प्रशासन की ओर से जिस तरह की डीपीआर तैयार की गई है, उसमें डाटपुल को चौड़ाकर बनारस की ओर से आने वाले रास्ते को रिंग सर्किल से इस पुल को जोड़ा जाना है।
सिग्नेचर ब्रिज और सर्किल रोड की जो परियोजना तैयार कराई गई है, इसमें करीब 100 करोड़ रुपये लागत का अनुमान है। सिग्नेचर ब्रिज से बिहार और पीडीडीयूनगर सहित अन्य शहरों से काशी की कनेक्टिविटी मजबूत हो जाएगी। अब सिग्नेचर ब्रिज की डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) जारी होने के बाद टेंडर की प्रक्रिया के भी जल्द ही शुरू होने की संभावना है। सिग्नेचर ब्रिज का काम तीन फेज में पूरा कराया जाएगा।