राजनीति: लोकसभा चुनाव 2024 नजदीक आते-आते विपक्षी महागठबंधन I.N.D.I.A में फूट पड़ती दिख रही है। पहले बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार ने इससे किनारा किया और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए में शामिल हो गए। इसी क्रम में
रालोद के एनडीए में जाने की चर्चाएं तेज हो गई हैं। दिल्ली में जयंत चौधरी ने भाजपा नेताओं से मुलाकात की है।
उत्तर प्रदेश में भी समाजवादी पार्टी (सपा) और रालोद के बीच सीट बंटवारे को लेकर पेंच फंसता नजर आ रहा है। रालोद नेताओं ने कैराना और बिजनौर सीट सपा के बताए प्रत्याशियों को देने पर सहमति भी दे दी थी। लेकिन मुजफ्फरनगर और हाथरस सीट को लेकर सपा और रालोद के बीच दूरियां बन गई। इसी दौरान चर्चा शुरू हो गई कि रालोद अध्यक्ष की भाजपा से गठबंधन की बात हुई है।
सूत्रों के मुताबिक रालोद ने भाजपा से कैराना, अमरोहा, बागपत, मथुरा व मुजफ्फरनगर सीट मांगी थी। भाजपा इनमें से कैराना, अमरोहा और बागपत सीट देने के लिए तैयार है। मथुरा व मुजफ्फरनगर सीट पर पेच फंसा है। एनडीए गठबंधन में मंत्री पद भी मिलने की संभावना है।
भाजपा पश्चिमी यूपी में मुस्लिम बहुल सीटों के लिए रालोद को साधना चाहती है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव रालोद से गठबंधन की घोषणा कर चुके हैं। सीटें चिह्नित करने और सपा की ओर से तीन सीटों पर रालोद के चुनाव निशान पर अपने उम्मीदवार खड़ा करने की शर्त पर पेच फंस गया। सपा चाहती है कि कैराना, मुजफ्फरनगर और बिजनौर में प्रत्याशी सपा का हो, जो रालोद के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतरे।
सियासी गलियों में चर्चा यह भी है कि रालोद मथुरा, बागपत, बिजनौर समेत चार सीटों पर सहमति देने के लिए तैयार है। लेकिन साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न दिए जाने की मांग भी रखी जा रही है। रालोद सिर्फ लोकसभा चुनाव तक ही सीमित नहीं है। पार्टी इसके साथ ही प्रदेश सरकार में हिस्सेदारी भी चाहती है। हालांकि रालोद की तरफ से इन बातों का खंडन ही किया जा रहा है। प्रदेश अध्यक्ष रामाशीष राय का कहना है कि एनडीए में जाने की बात कोरी अफवाह है। रालोद पूरी दृढ़ता से साथ इंडिया गठबंधन का हिस्सा है। आपको बता दें कि रालोद नेतृत्व ने अभी तक न तो इन्कार किया और न ही इकरार, जिस कारण चर्चाओं ने दिनभर तेजी पकड़ी हैं।