अंबेडकर जयंती 2022: हर साल 14 अप्रैल को देशभर में संविधान के निमार्ता डॉ.भीमराव अंबेडकर जयंती मनाई जाती है l उन्होंने भारत की आजादी के बाद देश के संविधान के निमार्ण में अभूतपूर्व योगदान दिया है l बाबा साहब ने हमेशा से कमजोर और पिछड़ें वर्ग के अधिकारों के लिए काम किया है l आज के इस जयंती को जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न जैसी सामाजिक बुराइयों से लड़ने के रूप में भी मनाया जाता है l
बचपन से ही उन्हें आर्थिक और सामाजिक भेदभाव का सामना करना पड़ा है l बाबा साहब देश के ऐसे एक शख्स थें, जिनकी तुलना किसी और से नहीं की जा सकती l उन्होंने जाति व्यवस्था का कड़ा विरोध कर समाज में सुधार लाने का काम किया है l डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्य प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ है ल उनके पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था, वहीं उनकी माता भीमाबाई थीं l डॉ. अंबेडकर महार जाति के थें l ऐसे में उन्हें बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा l
दलितों की राजधानी कहे जाने वाले आगरा से बाबा साहब का गहरा नाता है l वह 18 मार्च, 1956 को यूपी के आगरा जिले में आए थें l यहां उन्होंने रामलीला मैदान में बड़ी सभा को संबोधित किया था l इसके साथ ही बाबा साहब ने चक्कीपाट में महात्मा बुद्ध की प्रतिमा अपने हाथों से स्थापित की थी l यह मूर्ति आज भी पूर्वोदय बुद्ध विहार में देखी जा सकती है l दलितों के मसीहा डॉ. भीमराव अंबेडकर की नजर में आगरा बहुत अहम है l
पहली बार आगरा आगमन में ही डॉ. अंबेडकर ने भांप लिया था कि आगरा दलित आंदोलन में मील का पत्थर साबित होगा उन्होंने अपने ऐतिहासिक भाषण में बौद्ध धर्म को ग्रहण करने की इच्छा जताते हुए कहा था कि मैं जिस धर्म को आपको दे रहा हूं, उसका आधारा बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय है l यहां से जाने के लगभग नौ माह बाद 6 दिसम्बर, 1956 को डॉ. अंबेडकर का देहांत हो गया था l
