एक्सेपिएंट फॉर्मूला: उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले के वैज्ञानिक डॉ. मयंक सिंह ने अमेरिका के तीन वैज्ञानिकों के साथ मिलकर नैनो तकनीक पर एक्सेपिएंट फॉर्मूला बनाकर जिले और देश का नाम रोशन किया है। उन्होंने यह उपलब्धि डेंड्रिमर टेक्नोलॉजी के जनक कहे जाने वाले वैज्ञानिक और पांच बार नोबेल पुरस्कार के लिए नामित हुए डॉ. टोमालिया के साथ मिलकर हासिल की है।
इससे दवाएं जहां सस्ती हो सकेंगी वहीं खाद्य पदार्थ का संरक्षण आसान होगा। उन्होंने औद्योगिक देशों के लिए लाभकारी यह फार्मूला डॉ. टोमालिया, डॉ. हेडस्ट्रैंड और डॉ. निक्सन के साथ 23 दिसंबर 2021 को पेटेंट कराया। इस फॉर्मूले का उद्देश्य रासायनिक तत्वों को पर्यावरण के अनुकूल, सुरक्षित और न्यूनतम मूल्य पर विकसित करना है।
इनमें दवाइयों, जैव और पौष्टिक औषधीय, वैक्सीन, पशु चिकित्सा उत्पाद, सौंदर्य उत्पाद, कृषि उर्वरक, पेय पदार्थ, अग्निशमन रसायन, खाद्य पदार्थों के संरक्षण इत्यादि शामिल हैं। डॉ. मयंक ने बताया, एक्सेपिएंट का अधिकतर उपयोग दवाइयों के निर्माण और उपयोग के लिए किया जाता है। इसके बिना, कुछ दवाइयों को उपयुक्त औषधीय उत्पादों में तैयार करना संभव नहीं होता। इससे लोगों को दवाएं कम कीमत में मिलेंगी और न्यूनतम खुराक की आवश्यकता होगी।
डॉ. मयंक मूलत: मिर्जापुर जिले के नरायनपुर विकास खंड के बगहां गांव के हैं। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा सिंगरौली से और बुंदेलखंड विश्वविद्यालय, झांसी से आगे पढ़ाई की। इसके बाद वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-नई दिल्ली से चिकित्सा एवं औषधि विज्ञान में फेलोशिप हासिल की। सीएसआईआर (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी) हैदराबाद से औषधि विज्ञान और तकनीकी में पीएचडी की। वह अमेरिका के मिशिगन में नेशनल डेंड्रिमर एंड नैनो टेक्नोलॉजी सेंटर में औषधि वैज्ञानिक हैं।
