नदियों का पुनरुद्धार: उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने विधान भवन स्थित अपने कार्यालय में योजना की समीक्षा करते हुए मौर्य ने कहा कि ग्राम्य विकास विभाग ने बुंदेलखंड की 20 नदियों सहित 61 नदियों के पुनरुद्धार की योजना बनाई है। इस कार्य को एक साल के भीतर पूरा करने की रणनीति पर काम किया जाए।
उन्होंने कहा कि विलुप्त होने के कगार पर पहुंच रही नदियों का पुनरुद्धार करना जल संरक्षण की दृष्टि से बहुपयोगी सिद्ध होगा और मनरेगा के माध्यम से अधिकाधिक श्रमिकों को रोजगार भी मिलेगा। इस कार्य से पीने व सिंचाई के लिए पानी भी आसानी से उपलब्ध हो सकेगी। इसका कृषि, वानिकी आदि पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ेगा। यही नहीं इनके निकटवर्ती तालाब, पोखर भी इन नदियों के पानी से भरे जा सकेंगे।
समीक्षा के दौरान ग्राम्य विकास विभाग अधिकारियों ने बताया कि नदियों के पुनरुद्धार कार्य में आईआईटी कानपुर व वाराणसी, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी रुड़की और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ से सलाह लेने की योजना भी बनाई गई है। अपर आयुक्त मनरेगा योगेश कुमार ने बताया कि वर्ष 2018 से नदियों के पुनरुद्धार का कार्य किया जा रहा है। अब तक 2,618 किमी लंबाई में नदियों का पुनरुद्धार का कार्य कराते हुए 13,205 लाख रुपये की धनराशि खर्च की गई है।
उत्तर प्रदेश की कुछ प्रमुख नदियां : गंगा, जमुना, रामगंगा, काली, गंडक, सरयू, गोमती,वरुणा, पांडो, ईसन, रिहंद,टोंस, केन, चंबल, बेतवा, सई नदी, सरायन नदी, सेंगर नदी, सोन नदी आदि नदियां हैं। इनमें से कई नदियों का जल स्तर गर्मी में काफी कम हो जाता है लेकिन सूखती नहीं हैं।
