जौनपुर: उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के खुटहन ब्लॉक का सबसे ज्यादा आबादी और क्षेत्रफल वाला गांव पिलकिछा है। गोमती के तट पर स्थित इस गांव के श्मशान घाट पर हर रोज सुबह 7-8 बजे तक दो महिलाएं पहुंच जाती हैं, जो शाम सात-आठ बजे तक रहती हैं। ये महिलाएं रिश्ते में देवरानी और जेठानी हैं। दोनों घाट पर आने वाले शवों का अंतिम संस्कार कराती हैं।
यहां देवरानी सरिता और उनकी जेठानी महराती दिन में आने वाले शवों का अंतिम संस्कार कराती हैं। जिन्हें देखकर एक बार शव लेकर आने वाले भी सोचने को मजूबर हो जाते हैं। दोनों महीने भर में करीब सौ शवों को जलाकर अपना और परिवार का खर्चा चलाती हैं।
सरिता बताती हैं, 11 साल पहले पति चुनमुन की मौत हो गई थी। वे इसी घाट पर अंतिम संस्कार कराते थे। तब मेरे सामने दो ही रास्ते थे। मजदूरी करूं या अपने पति की विरासत संभालूं। काफी सोच विचारकर मैंने पति की विरासत संभालने का फैसला किया। हालांकि पहले लोगों ने समझाया और डराया भी, वे कहते थे शव देख कर डरोगी। नींद नहीं आएगी, समाज क्या कहेगा।
लेकिन मैंने घाट का रास्ता चुना। इसी से परिवार का जीविकोपार्जन कर रही हूं। सरिता की जेठानी महराती बताती हैं, करीब 25 साल पहले ब्याह करके आई थी, आठ साल पहले पति संजय की मौत हो गई। इसके बाद मैंने भी देवरानी की तरह अपने पति की विरासत को संभालने का फैसला किया। दाह संस्कार से मिलने वाले पैसों से ही घर का खर्च चलता हैं।
