स्वच्छता सर्वेक्षण: प्राचीन, पवित्र शहर व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस को देश में गंगा किनारे बसा सबसे स्वच्छ शहर का खिताब मिला है। लगातार दूसरी बार सबसे स्वच्छ शहर चुना गया है। पीएम मोदी ने अस्सी घाट से स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। जिसके बाद से गंगा घाटों की सफाई दिन दूनी-रात चौगुनी रफ्तार से बेहतर होती चली गई। इसके चलते बनारस को यह पुरस्कार मिला है।
इससे पहले भी केंद्र सरकार के वार्षिक सर्वेक्षण 2020 के अनुसार गंगा किनारे बसे सबसे स्वच्छ शहरों में वाराणसी शीर्ष स्थान पर था। प्राचीन, पवित्र शहर वाराणसी को गंगा नदी किनारे सबसे साफ शहर बनाने में प्रधानमंत्री का सबसे बड़ा योगदान है।
शनिवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के हाथों गंगा किनारे बसे शहरों में सबसे स्वच्छ शहर का तमगा बनारस को हासिल हुआ। यह पुरस्कार नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन, महापौर मृदुला जायसवाल और अफसरों ने लिया। स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 के अनुसार वाराणसी उत्तर प्रदेश का सातवां और देश का 30वां सबसे साफ-सुथरा शहर है।
हालांकि हकीकत देखें तो शहर के मुख्य मार्गों और पॉश कॉलोनियों को छोड़ कर घनी आबादी वाले संकरे इलाकों में साफ-सफाई की स्थिति बदतर ही है। इसी वजह से वाराणसी पिछले साल की अपेक्षा 27वें स्थान की बजाय इस बार साफ-सफाई के मामले में देश में 30वें नंबर पर आ गया।
अधिशासी अभियंता अजय कुमार ने बताया कि पुर्नउपयोग में खाद, कोयला और बिजली बनाने की प्रक्रिया है और जिन कचरे का पुर्नउपयोग नहीं हो पाए, उसका विज्ञान के तहत पर्यावरण को नुकसान पहुंचाए बिना निपटारा किया जाता है। दोनों ही क्षेत्रों में वाराणसी नगर निगम का प्रदर्शन बेहतर है।
