अफगानिस्तान: अफगानिस्तान में आर्थिक संकट के चलते न तो रोजगार है और न ही कोई काम, ऊपर से तालिबान का खौफ अलग से है। ऐसे में देश छोड़कर जाने वालों की संख्या काफी बढ़ी है। भीषण आर्थिक और सामाजिक संकट से जूझ रहे अफगानिस्तान में इस समय हालात बेहद गंभीर बने हुए हैं। अमेरिका की ओर से सैन्य वापसी के एलान और तालिबान की वापसी ने स्थितियों को और जटिल किया है। विदेशी तो विदेशी अफगान नागरिक भी यहां से निकलना चाहते हैं।
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद महिलाओं को सबसे ज्यादा प्रतिबंधात्मक कार्रवाई का शिकार होना पड़ा है। ताजा मामले में काबुल के कई स्पोर्ट्स क्लब के मालिकों ने कहा है कि तालिबान ने महिलाओं के लिए एथलेटिक खेलों पर प्रतिबंध लगा दिया है। उन्होंने बताया कि वे (इस्लामी अमीरात) महिलाओं को खेलों की अनुमति नहीं देते हैं।
हालांकि खेल गतिविधियों में महिलाओं के लिए पहले ही अलग स्थान बनाए गए थे लेकिन अब इसमें और भी बदलाव कर दिए गए हैं। अब कोच भी पुरुष के बजाय एक महिला है। एक स्पोर्ट्स क्लब के प्रमुख हाफिजुल्लाह अबसी ने टोलो न्यूज को बताया कि कम से कम महिलाओं को अभ्यास करने की अनुमति दी जानी चाहिए। अफगानिस्तान में राष्ट्रीय जुजुत्सु टीम की सदस्य अरिजो अहमदी ने बताया कि मेरी बहुत सारी इच्छाएं और महत्वाकांक्षाएं रही हैं। मैं विश्व स्तर पर अफगानिस्तान का झंडा सबसे ऊंचा उठाना चाहती थी, लेकिन अब नहीं पता क्या होगा?
कुछ शर्तों पर दी जाएगी अनुमति
इस्लामी अमीरात (तालिबान शासन) ने आलोचनाओं का खंडन करते हुए कहा कि इस्लामी मूल्यों और संस्कृति पर आधारित महिलाओं को खेल की अनुमति दी जाएगी।
शारीरिक शिक्षा व राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के प्रवक्ता दाद मोहम्मद नवा ने कहा कि हम सभी पहलुओं में इस्लामी अमीरात की नीति का पालन करेंगे। हमारी संस्कृति में महिलाओं को जो भी अनुमति है, हम महिलाओं को उसकी इजाजत देंगे।
